लेखनी कहानी -17-Oct-2022# धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता # त्यौहार का साथ # पोंगल
पोंगल तमिलनाडु राज्य का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है परंतु इसे दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
पोंगल तमिलनाडु का एक ऐसा त्यौहार है, जिसे दक्षिण भारत के अधिकतम लोगों द्वारा बड़े धुमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार पर आयोजित होने वाली बैलों की लड़ाई पूरे भारत में प्रसिद्ध है, लोग दूसरे राज्यों से भी इस आयोजन का लुफ्त उठाने यहाँ आते हैं। पोंगल मनाने की विधि लगभग गोवर्धन पूजा से मिलती-जुलती है परंतु धार्मिक विविधता के कारण उनके नाम अलग है मगर इनका उद्देश्य एक है लोगों के बीच हर्ष एवं उल्लाह बनाना।
पोंगल तमिलनाडु का एक प्रसिद्ध त्यौहार है, पोंगल शब्द तमिल भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है उबालना। इस दिन गुड़ और चावल को उबालकर भगवान सूर्य को चढ़ाया जाता है, सूर्य भगवान को चढ़ाए जाने वाले इस प्रसाद को ही पोंगल के नाम से जाना जाता है। इसलिए इस त्यौहार का नाम पोंगल पड़ गया। यह त्योहार मुख्य रूप से किसानों तथा कृषि से संबंधित देवताओं को समर्पित होता है। चावल, गन्ना, हल्दी आदि फसलों को काटकर सुरक्षित रखने के बाद प्रतिवर्ष जनवरी माह के मध्य में यह त्यौहार मनाया जाता है
पोंगल दक्षिण भारत का एक चार दिवसीय त्यौहार है, इस त्यौहार के माध्यम से इस दिन भगवान को अच्छी फसल के लिए उत्कृष्ट मौसम प्रदान करने के लिए धन्यवाद किया जाता है। पोंगल त्यौहार चार दिन तक लगातार मनाया जाता है तथा चारों दिन अलग-अलग देवताओं को पूजा जाता है।
पोंगल का पहला दिन (भोगी पोंगल)
भोगी पोंगल को लोग अपने घरों की साफ- सफाई करते हैं तथा मिट्टी के बर्तनों पर कुमकुम और स्वास्तिक सजाते हैं। पोंगल के पहले दिन बादलों के शासक (वर्षा के देवता) कहे जाने वाले भगवान इंद्र की पूजा की जाती है क्योंकि अच्छी फसल के लिए वर्षा का होना जरूरी है और लोगों का मानना है कि वर्षा तभी संभव है जब भगवान इंद्र खुश होंगे।
इस दिन एक और अनुष्ठान किया जाता है जिसे भोगी मंटालू के नाम से जानते हैं, अच्छी फसल के लिए किसान भगवान इंद्र की आराधना एवं शुक्रिया करते हैं तथा उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं जिससे उनके घर परिवार में धन और सुख की समृद्धि बनी रहे। घर के बेकार सामान को इस दिन लकड़ी तथा गाय के उपलों के साथ जला दिया जाता है, लड़कियां इस आग के चारों ओर नृत्य करती है तथा ईश्वर के गीत गाती है।
पोंगल का दूसरा दिन (सूर्य पोंगल)
पोंगल के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल के नाम से जाना जाता है, इस दिन घर का सबसे बड़ा सदस्य भगवान सूर्य देव को भोग लगाने के लिए मिट्टी के बर्तन में चावल और पानी डालकर पोंगल बनाता है। जिस मिट्टी के बर्तन में पोंगल बनाया जाता है उसके चारों और हल्दी का पौधा बांधा जाता है। पोंगल तथा अन्य दैवीय वस्तुओं को अर्पण करके भगवान सूर्य की आराधना की जाती है तथा भगवान से हमेशा दया दृष्टि बनाए रखने की प्रार्थना भी की जाती है।
इस दिन लोग पारंपरिक पोषाक तथा चिन्हों आदि को धारण करते हैं तथा सुबह- सुबह नहा धोकर अपने घर में चूने से कोलाम (एक शुभ चिन्ह) भी बनाते हैं। इस दिन जिन बर्तनों में पूजा किया जाता है उनको पति और पत्नी आपस में बांट लेते हैं।
पोंगल का तीसरा दिन (मट्टू पोंगल)
पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल के नाम से प्रसिद्ध है, यह दिन गाय तथा बैलों की पूजा और अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। पोंगल के तीसरे दिन मवेशियों को नहला धुला कर अच्छी तरह से सजाया जाता है उनके गले में घंटियां तथा फूलों की मालाएं भी बांधी जाती है फिर विधि पूर्वक उनकी पूजा की जाती है।
किसानों के जीवन में गाय का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है ये उनको दूध एवं खाद प्रदान करती है, इसलिए इस दिन को गाय पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। इनके गले में लटकी घंटियों की आवाज ग्रामीण जन को आकर्षित करती है लोग इस दिन मवेशियों के दौड़ का भी आयोजन करते हैं।
मट्टू पोंगल के दिन का एक और विशेष महत्व होता है औरतें इस दिन अपने भाइयों के लिए सुखी एवं स्वस्थ जीवन की कामना करती है। इस दिन लोग अपने सगे संबंधियों को स्वादिष्ट मिठाइयों की भेट देते हैं।
पोंगल का चौथा दिन (कानुम पोंगल)
पोंगल के चौथे दिन परिवार के सभी सदस्य मिलकर एक साथ समय बिताते हैं, इस दिन लोग अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं तथा छोटों को प्यार देते हैं। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर हल्दी के पत्ते पर खाना खाते हैं, इस दिन खाने में मुख्यतः चावल, मिठाई, सुपारी, गन्ना आदि परोसे जाते हैं। आज के दिन भी महिलाएं अपने भाईयों के उज्जवल भविष्य की कामना करती है तथा तेल एवं चूना पत्थर के साथ उनकी आरती करती है।
पोंगल हरियाली और संपन्नता को समर्पित तमिलनाडु का एक प्रसिद्ध त्योहार है, इस दिन भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की जाती है तथा घर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा बनाया गया पोंगल (भोग) अर्पित किया जाता है। पोंगल को दक्षिण भारत में एक द्रविड़ फसल त्यौहार के रूप में मान्यता प्राप्त है इस त्यौहार का उल्लेख संस्कृत पुराणों में भी मिलता है, कुछ पौराणिक कथाएं भी पोंगल त्योहार के साथ जुड़ी हुई है।
आँचल सोनी 'हिया'
22-Oct-2022 07:14 PM
Bahut khoob 💐👍
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Teena yadav
22-Oct-2022 07:11 PM
Amazing
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Gunjan Kamal
22-Oct-2022 12:56 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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