Sunita gupta

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आलोचना वी मिठास

[21/10, 2:10 pआलोचना प्रशंसा से अधिक महत्वपूर्ण होती है।
साहित्य की अनमोल विधा है आलोचना
आलोचना से मिली शिक्षा ही विजय का मार्ग प्रशस्त करती है।
जो आलोचना निष्पक्ष रह कर की जाती है, सच का सुंदरतम रूप होती है, परन्तु दुष्टों को कभी स्वीकार्य नही होती।
आलोचना का प्रतिकार करके आगे बढ़ना बिल्कुल वैसे ही है जैसे कोई महिला बिना दर्पण के श्रृंगार करे।                                        🌷🌷शुभ दोपहर
     
       जिसके पास खुशियाँ होतीं हैं वह विश्व का सबसे बड़ा भाग्यशाली व जिसके पास नहीं वह अभाग्य मानव होता हैं,
       खुशी बाँटने से बढ़ती हैं, इसलिए खुशियाँ बाँटने में कंजुसी ना बरतें, स्वयं भी खुश रहें औरों को भी खुश रहने दे।
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                   "मीठास्"

          मुँह में घुले तो "स्वाद"

         दिलों में घुले तो" प्यार"

       मौसम में घुले तो "बहार"

            रिश्तों में घुले तो
     "जिन्दगी स्वर्ग बन जाती है" ,,,,,,।

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7 Comments

Khan

25-Oct-2022 08:03 PM

Very nice 👍

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Nancy

24-Oct-2022 12:30 PM

Nice

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Sachin dev

23-Oct-2022 07:00 PM

Nice 👌👌

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