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30 days festival - ritual competition -21-Oct-2022 ( 5 ) रक्षाबंधन



शीर्षक = रक्षाबंधन




भारतीय धर्म संस्कृति के हिसाब से रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है , श्रावण यानी की सावन में इस त्यौहार को मनाया जाता है  इसलिए इसे सावनी या सलोने कहकर भी बुलाया जाता है ।


यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। यह एक हिन्दू व जैन त्योहार है।

रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन बाजार मे कई सारे उपहार बिकते है, उपहार और नए कपड़े खरीदने के लिए बाज़ार मे लोगों की सुबह से शाम तक भीड होती है। घर मे मेहमानों का आना जाना रहता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है, इस त्योहार के दिन सभी परिवार एक हो जाते है और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते है।



रक्षाबंधन के दिन बहुत सी जगहों पर पतंगे भी उड़ाई जाती है, खास कर जहाँ हम लोग रहते है यानी की उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के अंतर्गत आने वाले शहरो और क़जबो में, सुबह से ही बड़े और बच्चें छतो पर पतंग बाजी करते है ।


सिर्फ हिन्दू ही नही बल्कि और धर्मो के लोग भी इस दिन पतंग उड़ा कर, पतंग बाज़ी करते है, बज़ारो में राखी के साथ साथ दुकानों पर रंग बिरंगी  पतंगे और मांझा भी मिलता है ।


हम भी जब छोटे थे , तो भोर होते ही छत पर चले जाते और खूब मजे से दोपहर होने तक पतंग बाजी करते थे , उसके बाद शाम को पतंग उड़ाते लेकिन एक समस्या होती क्यूंकि रक्षाबंधन सावन के महीने में आते है , इसलिए थोड़ी थोड़ी देर बाद सावन के झल्ले बरसते जिसके चलते  सब लोग छतो से उतर कर नीचे चले जाते, और बारिश रुकने की दुआँ करते ताकि पतंगों का आनन्द फिर से ले सके ।

आज मुझे अपने बचपन की एक घटना याद आ गई, रक्षाबंधन के बारे में लिखते हुए , ऐसे ही रक्षाबंधन वाले दिन हम सब बच्चें छत पर पतंग उड़ा रहे थे।

आसमान रंग बिरंगी पतंगों से भरा पड़ा था, कही कही तो प्रतिस्पर्धा हो रही थी, इतने में ही सब लोग पतंग बाजी में इतने व्यस्त हो गए, सब की नज़रे आसमान की तरफ ही थी  कि अचानक मेरा दोस्त जो कि पतंग उड़ा रहा था, हम सब का ध्यान ऊपर आसमान की तरफ था और साथ ही साथ उस पतंग उड़ा रहे मेरे दोस्त का भी ।


न जाने कब वो पतंग की धुन में छत के आखिरी कोने पर आ गया और उसका पैर फिसला और वो नीचे गिर गया  लेकिन शुक्र था की उसने दीवार को पकड़ लिया और आवाज़ देने लगा 


लेकिन हम सब लोग पतंग बाजी में इतना मशगूल थे, कि पता ही नही चला की कोई हमें पुकार रहा है,

बहुत देर बाद जब उसकी पतंग नीचे गिर गई, तब पता चला की पतंग उडाने वाला ही लटका पड़ा है , वो भी  ऐसी जगह जहाँ उसके नीचे बराबर वाले घर  की टॉयलेट थी  वो भी पुराने ज़माने वाली , अगर वो नीचे गिर जाता तो बेचारा  सोच कर ही हसीं आती है । 😂😂😂


बहुत देर बाद उसे ऊपर खींचा गया, उसके बाद तो किसी की भी हसीं नही रुकी सब उसे चिड़ा रहे थे, कि अगर तू नीचे गिर जाता तो तेरा क्या होता


अब भी जब उस बात का ज़िक्र होता है, तो हसीं आ जाती है।



30 days festival / ritual competition 

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4 Comments

Alka jain

13-Nov-2022 10:43 AM

Nice

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Pratikhya Priyadarshini

27-Oct-2022 01:29 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Bahut khoob 🙏🌺

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