Nitesh sahu

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Dosti

बैठा था मन थक कर तूने सहारा दिया।
लिख कर अपने नज्म नाम हमारा लिया।
चाहत की गहराई तूने ही तो सिखाई है।
मेरी हर कविता में तू ही तो समाई है।
किसी से अब कोई गिला नहीं तेरे जैसा प्यारा 
साथी दूसरा और कोई मिला नहीं।

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3 Comments

Niraj Pandey

27-Aug-2021 01:06 PM

वाह

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Miss Lipsa

27-Aug-2021 08:06 AM

Wow

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Nitesh sahu

27-Aug-2021 08:09 AM

Thanku uhh

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