इश्क़
इश्क़ तो उसको पहले से था
बस मुझको कभी बतलाया नहीं
मेरी ना का डर था शायद
सो मुझसे कभी कह पाया नहीं।
वो मुझको इशारा करती रही
पर लफ्जों से समझाया नहीं
अनमोल मुझे वो करती रही
बिन मोल के मैं बिक पाया नहीं।
मुझको अपना समझकर शायद
सब सच उसने फरमाया था
ये मेरी ही नासमझी थी
मैं उसपे यकीं कर पाया नहीं ।
जाने से पहले अन्तिम बार
जब मुझसे मिलने आई थी
दुल्हन के उस रुप मे उसको
देख के मैं सह पाया नहीं ।
वो मुझे दुआ दे चली गई
चुपचाप वहीं मै खड़ा रहा
रुखसत के दिन भी उसको
मैं कोई दुआ दे पाया नहीं ।
फिर किसी नज़र ने छुआ नही
न किसी ने दिल पे दस्तक दी
उससे बिछ्ड़े मुद्दत गुजरी
पर जुदा उसे कर पाया नही।
_____अमित'केवल'
Bhartendra Sharma
18-Feb-2021 04:51 PM
बहुत उम्दा।
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kapil sharma
16-Feb-2021 05:03 PM
waww , Amit ji , ab lag rha hai lekhny par kaafi mature Kavita padhne ko milne wale hai 🙏
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