जय श्री माताजी
होली घोस्ट के लाल हो तुम।
एकादश रुद्र की शक्तियों से संपन्न हो तुम।
आज्ञा चक्र पर स्थित हो तुम।
परमेश्वर के पुत्र हो तुम।
समस्त ब्रह्मांड के आधार हो तुम।
प्रणव का स्वरूप हो तुम।
बारंबार नमन करता हूं।
श्री गणेश के विकसित स्वरूप हो तुम ।
आज्ञा चक्र खोलने के लिए आए थे तुम।
ब्रह्मरंध्र भेदन करने के लिए मां का मार्ग बनाए थे तुम।
मानवीय चेतना को प्रकाशित करने आए थे तुम।
प्रसन्नता आनंद लुटाने आए थे तुम।
पापों से मुक्ति दिलाने आए थे तुम।
महान उद्देश्यों के लिए आए थे तुम।
कोटि-कोटि नमन करता हूं।
गलत गुरुओं से दूर रहने का उपाय बताए थे तुम।
होली घोस्ट के लाल हो तुम।
महा विष्णु के अवतार हो तुम।
अल्फा ओमेगा हो तुम।
प्रेम की शक्ति का प्रतीक हो तुम।
निर्विचार चेतना के स्वरूप तुम।
पुर्ण सहजयोगी हो तुम।
दयालु और करूणामय के रूप हो तुम।
बारंबार नमन करता हूं।
सहजयोगियों के अग्रज हो तुम।
क्षमाप्रदायक हो तुम क्षमा स्वरूपाय हो तुम।
आज्ञा चक्र स्वामिने हो तुम आदि पुरुषाय हो तुम ।
पापनाशकाय हो तुम पापविमोचकाय हो तुम।
प्रकाशय हो तुम अकाशय हो तुम।
महतमनस हो तुम अवोधिता के स्वरूप हो तुम।
परम चैतन्य के श्रोत के आधार हो तुम।
बारंबार नमन करता हूं।
मां आदिशक्ति के द्वारपाल हो तुम ।
जय श्री माताजी ।
श्री माताजी के श्री चरण कमलों में समर्पित।
तारीख 29 अक्टूबर २०२२२
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Palak chopra
03-Nov-2022 03:22 PM
Shandar 🌸
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Gunjan Kamal
02-Nov-2022 03:56 PM
शानदार
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Suryansh
02-Nov-2022 08:19 AM
भावमय प्रस्तुति
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