जीवन है परमार्थ हित -31-Oct-2022
*प्रतियोगिता *
दिनांक 31/10/२०२२
विषय स्वैच्छिक
विधा गीत
शीर्षक जीवन है परमार्थ ह
घन घोर घन घटा क्या,
जो बुझा ना प्यास पाये।
जीवन सफल उसी का,
जो औरों के काम आये।
1
मिलने को इस जहां में,
सुख-दुख सभी मिलेंगे।
गुलशन में गुल हजारों,
आगे भी यूँ खेलेंगे।
गुलजार गुल वही जो,
पूजा में पूजा जाये।
2
जीने का हक उसी को,
मरना भी जिसने सीखा।
औरों के हेतु विष भी,
पीता है शिव सरीखा।
करतब तू कर जा ऐसा ,
दुनिया भी गुन ये गाये।
3
इंसान वह कि जिसको,
सारा जहां ये जाने।
है भक्त वो जिसको,
भगवान खुद ही माने।
इंसान वो कि जग में,
इंसानियत को लाये।
विनोदी वही है मानव,
मानव के काम आये।
विनोदी महाराजपुर
Gunjan Kamal
02-Nov-2022 03:52 PM
बहुत ही सुन्दर
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Suryansh
02-Nov-2022 08:20 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Swati chourasia
01-Nov-2022 10:19 AM
बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌
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