Champa rautela

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कविता

आज की धूपहेरी ,


आज की धूप किसी दुल्हन सी लगी, 
जैसे जैसे कदमों को बढ़ाते, 
धूप को ख़ुद के नजदीक पाते, 
बहुत कुछ कहते है, 
टहनियों से अलग हुए पत्ते, 
परिर्वतन को समझ रहें हैं, 
जिंदगी कितनी अलग हैं, 
और प्रेम कलम से नहीं, 
ज़ज्बात से लिखा जाता हैं, 
लिखा जाता हैं हर पल को, 

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10 Comments

Gunjan Kamal

02-Nov-2022 03:52 PM

बहुत ही सुन्दर

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Suryansh

02-Nov-2022 08:21 AM

शानदार सृजन

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बहुत ही सुंदर सृजन

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