Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय बहुत खूबसूरत है ये जिंदगी

🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत खूबसूरत है ये जिंदगी भी ,
एक बात सुनो मेरी कान्हा जी, 
मेरी विनती प्रभु कभी सुनना जी। 
मन सिंहासन में रहो श्याम तुम्ही, 
कभी छोड़ के न जाना कान्हा जी। 

तुम्ही ही तो बसे  श्याम कण -कण में
मेरे रोम -रोम और धड़कन में। 
तेरी मूरत समायी है कान्हा, 
जिसे देखती रोज मन दर्पण में। 

मेरे सपनों में कभी आते हो, 
और मुरली  बजा के सुनाते हो। 
मेरे  नैना  श्याम खुल जाते हैं, 
फिर तुम नजर नहीं कहीं आते हो। 

करूँ अरज सुनो जी अब कान्हा जी
एक झलक दिखा जाओ अपनी जी। 
व्याकुल मेरे नैना हृदय आकुल
और मत अब तरसाओ कान्हा जी। 

🙏🌹 *सुप्रभात जी* 🌹🙏
*ऊषा जैन उर्वशी कोलकाता*
सुनीता 

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8 Comments

Palak chopra

03-Nov-2022 03:08 PM

Shandar 🌸

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Suryansh

02-Nov-2022 07:20 AM

बहुत ही सुंदर और लाजवाब कविता

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बहुत ही सुंदर सृजन

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