बुलंद हौसला
गुजरात में संसार चंद जी सरकारी विद्यालय में प्रिंसिपल थे। संसार चंद जी के परिवार मैं पत्नी बहू बेटा और पोता था। संसार चंद जी अपने परिवार के साथ बहुत हंसी खुशी से जीवन जी रहे थे।
एक दिनसंसार चंद जी के घर एक बहुत करीबी रिश्तेदार की बेटी की शादी का निमंत्रण आता है।
संसार चंद जी अपने परिवार के साथ जिस रेल से शादी में शामिल होने जा रहे थे, उस रेल का एक्सीडेंट हो जाता है।
इस रेल दुर्घटना में संसार चंद जी के बेटे और पत्नी की मृत्यु हो जाती है। पर इस रेल दुर्घटना में संसार चंद जी और उनके 5 साल के पोते शेखर की जान बच जाती है।
संसार चंद जी अपने बुलंद हौसलों की वजह से इस दुख की घड़ी को टाल देते हैं। और अपने अच्छे संस्कारों के साथ शेखर को पाल पोस कर बड़ा कर देते है। शेखर बड़ा होकर अपने पिता जैसा रंग रूप कद काठी में दिखता था।
संसार चंद जी को जब अपने बेटे पत्नी बहू की याद आती थी, तो वह अपने पोते शेखर को सीने से लगा लेते थे। ऐसा करके उन्हें बहुत सुकून महसूस होता था।
शेखर पढ़ाई में होशियार था, इस वजह से पढ़ाई पूरी करने के बाद उसकी एक अच्छी नौकरी लग जाती है।
नौकरी पक्की होने के बाद शेखर के दादाजी उसकी शादी करवा देते हैं। शेखर की पत्नी के आने के बाद घर का सूनापन बिल्कुल खत्म हो जाता है। शेखर और उसकी पत्नी अपने दादा संसार चंद जी का बहुत ध्यान रखते थे।
संसार चंद जी कीथोड़ी सी भी तबीयत खराब होने पर शेखर दफ्तर से छुट्टी लेकर अपने दादा जी का पूरा ख्याल रखता था।
जब भी शेखर और उसकी पत्नी छोटी सी समस्या से घबरा जाते थे, तो संसार चंद जी उनको मुसीबतों से सामना करने की शिक्षा देते थे।
शेखर के दादाजी संसार चंद बहुत ही हिम्मत वाले और बुलंद हौसले के थे। वह बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना करने से डरते नहीं थे।
अपने दादाजी के बुलंद हौसलों को देखकर शेखर और उसकी पत्नी को भी हिम्मत मिलती थी।
शेखर की शादी के 3 वर्ष बाद शेखर के एक बेटा जन्म लेता है। शेखर के बेटे के जन्म के बाद उन के घर में और खुशियां आ जाती हैं। और संसार चंद के जीवन में दोबारा खुशियां आ जाती है।
एक रात शहर में बहुत बड़ा भूकंप आता है। इस भूकंप में संसार चंद जी का मकान और आसपास के मकान तहस-नहस हो जाते हैं।
इस भूकंप में संसार चंद जी का पूरा परिवार मकान के मलबे में दब जाता है।
इस हादसे में संसार चंद जी की जान बच जाती है। पर उनकी आंखों के सामने भूकंप रेस्क्यू टीम उनके पोते और बहू के मृत शवों को निकालकर उनके सामने रख देती है। और उसी समय उनके पड़ोस की एक महिला शेखर के बेटे को संसार चंद की गोदी में लाकर देती है। संसार चंद जी शेखर के बेटे को अपने सीने से लगा कर कहते हैं कि "आज से मेरी खुशी तुझसे ही है।"
1 सप्ताह बाद संसार चंद जी शेखर के बेटे को लेकर दूसरे शहर रहने चले जाते हैं।
कहानी का संदेश _जीवन में संकट और मुसीबतों का बुलंद हौसलों के साथ सामना करना चाहिए।
Mahendra Bhatt
04-Nov-2022 04:34 PM
बहुत खूब
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Punam verma
02-Nov-2022 09:35 AM
Very nice
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Abhinav ji
02-Nov-2022 08:23 AM
Bahut khoob
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