काव्यदीप
दिल में बसी जो ये तेरी चाहत है
शामिल उसमें रूहानियत
कैसे शब्दों में जताऊं
क्या इसकी अहमियत है
दिल्लगी नहीं सनम
इस मुहब्बत में शामिल रूहानियत है
जो बढ़ती जाती तेरी ये तलब
तू जरूरत मेरी तू मेरी अब आदत है
ख्वाहिश इश्क की अब मंजिलियत
दिल्लगी नहीं ये सनम
शामिल इस मुहब्बत में रूहानियत है
कैसे बताऊं दिलबर
तेरी मुहब्बत की क्या अहमियत है
दीवानगी सी दिल की कैफियत है
दिल में बसी जो ये तेरी चाहत है
शामिल उसमें रूहानियत
Haaya meer
02-Nov-2022 05:47 PM
Amazing
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Muskan khan
02-Nov-2022 05:04 PM
Wonderful
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Sachin dev
02-Nov-2022 04:36 PM
बहुत खूब
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