Sunita gupta

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कोरोना

पिंजरा ......कहानी करोना काल की 

क्वारिंटाइन शब्द  का अर्थ तो अब हर कोई जान गया था इस करोना महामारी के बाद से ।एक पिंजरा ही तो है देख सकते है सभी को  मगर छू नहीं सकते ।मरीज को एक कमरे में कैद कर दिया जाता है बर्तन अलग कर दिए जाते है।बिल्कुल अछूत की तरह ।उसके हाथ लग जाने पर खुदको सेनेटाइज करो । ऐसी स्थिति देख कर उन पशु पक्षियों की स्थिति याद आती है जिन्हे हम मनुष्य अपने शौंक की खातिर पिंजरो में कैद कर लिया करते है।शायद ये महामारी हमें यही कुछ सिखाने आई हो ।
राधा को सुबह उठते ही छींके शुरू हो गई ,कुछ तो मौसम बदल रहा था कुछ दिवाली की सफाई करते  करते उसे रात से सिर दर्द भी था ।दिन में ऑफिस होता तो थोड़ी थोड़ी सफाई राधा और मुकेश रात में कर के सोते ।
"क्या बात है राधा ,लगता है तुम्हारी तबियत ठीक नहीं ,मुकेश ने राधा की ओर देखते हुए कहा ,आज ऑफिस से छुट्टी ले लो पहले तुम्हे डॉक्टर को दिखाते है ।"
मां ने भी मुकेश की हां में हां मिलाते हुए कहा ,"हां बेटा आजकल वैसे ही घर घर में करोना फैल रहा है,जरा सी भी लापरवाही सही नही "
राधा ने हंसते हुए कहा "आप दोनो यूं ही परेशान हो रहे है मामूली जुकाम है ,ठीक हो जायेगा ।"
आज राधा के छींके शुरू होने पर पहले ही सतर्कता बरती और पहुंच गए डॉक्टर के पास ।करोना का असर अपने चरम पर था डॉक्टर ने पहले ही टेस्ट लिख दिए साथ कुछ प्रथम चिकित्सा के अंतर्गत कुछ खुराक दे दी।शाम तक रिपोर्ट भी आ गई टेस्ट की ।जिसमे राधा को करोना पॉजिटिव पाया गया ।घर में मातम सा छा गया ।मगर राधा ने हिम्मत नही हारी।
मुकेश की हिम्मत टूट रही थी ,मायूस सा बैठ गया "मुकेश  कुछ नही हुआ है मुझे ,देखना दो दिन में ही ठीक हो जाऊंगी "राधा ने बीमार होने के बावजूद मुकेश को धैर्य बंधाया ।
हॉस्पिटल सभी मरीजों से भरे हुए थे ,मुकेश ने घर में ही एक कमरा राधा के लिए अलग कर दिया जिससे घर के बाकी लोग बीमारी सेबचे रहे और राधा मुकेश की आंखों के सामने ही रहे ।मगर ये क्वारिंटाइन ने घर को ही आई सी यू  बना दिया।
मुकेश और उसकी मां ने दिन रात राधा की सेवा की और इसी सेवा और प्यार के कारण राधा कुछ ही दिनों में ठीक हो गई दुबारा टेस्ट कराने पर सब सामान्य पाया गया ।सभी आज दिवाली की सी खुशियां महसूस कर रहे थे ।
मगर राधा ने वो एक सप्ताह जो क्वारिंटाइन के पिंजरे  में गुजारा ,वो बीमारी से भी दयनीय था उस स्थिति को उसके साथ साथ मां और मुकेश ने भी बखूबी महसूस किया ।आज वह मुकेश और मां को आदर और अनुग्रह की दृष्टि से आभार व्यक्त कर रही थी ।मानो कह रही हो कि ये मेरी जिंदगी आप की अमानत है।आपने मुझे इस पिंजरे से मुक्त करा दिया ।

             भावना भारद्वाज,✍️

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5 Comments

Mahendra Bhatt

04-Nov-2022 11:01 AM

बहुत खूब

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Pratikhya Priyadarshini

03-Nov-2022 11:53 PM

Shaandar prastuti 👌🌺💐

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shweta soni

03-Nov-2022 01:10 PM

बेहतरीन रचना

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