Sunita gupta

Add To collaction

दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय कृष्ण कन्हैया

कैसे कह दू ,कि तू पराया है।
मेरा दुख-दर्द सब मिटाया है। 

याद  करती ,तुम्हें  हमेशा से,
बोलिए आज क्यूं भुलाया है। 

मेरा  तेरा  शिवा, नही कोई, 
बात कोई  ,न जान पाया है। 

एक सागरकी बात रखने को,
एक अस्तित्व तक मिटाया है। 

आज तुमको बसाऊं आंखों में,
आज तेरा ही, ख्वाब आया है। 

बनके सरिता समाऊंगी तुझमे,
अपना अस्तित्व भी भुलाया है। 

सुनीता गुप्ता कानपुर

   16
10 Comments

Palak chopra

07-Nov-2022 03:38 PM

Shandar 🌸🙏

Reply

Suryansh

07-Nov-2022 01:23 PM

बेहतरीन

Reply

दूँ,,, तेरे सिवा,,, नहीं,,,तुझमें,, आदि सही करें जी

Reply