संस्कार एवम सहनशीलता
"संस्कार एवं सहनशीलता"
संस्कार एवं सहनशीलता एक ऐसा गुण है। जो हमें परिवार से सीखने को मिलता है । बच्चा परिवार मे रखकर बचपन से जो भी दृश्य या विचार सीखता है उन सबका प्रभाव उसके जीवन में सदैव के लिए एक अमिट छाप छोड़ जाते है ।
संस्कारों की नींव जितनी मजबूत होगी, व्यक्ति अपने जीवन के उतना ही अच्छे और सच्चे विचारों के प्रति प्रेरित होता है । माँ से ही हमे संस्कार मिलते है जिस तरह माँ को जीवन की पहली शिक्षिका कहा जाता है शिशु की प्रत्येक दिनचर्या के साथ वह जिस वातावरण के आवरण में रहकर बड़ा होता है उसके वही गुण विकसित होते हैं । और यही विचार उसको अच्छे या बुरे मार्ग का अनुसरण करता है । पहले संयुक्त परिवार होते थे । आज के दौर मे तो एकल परिवार अधिक हैं ऐसा नहीं है कि एकल परिवार में संस्कार की कमी रहती है प्रत्येक माता पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार एवं अच्छी शिक्षा के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं फिर भी संयुक्त परिवार का जीवन अपने आप मे एक आदर्श जीवन का निर्माण करता है वहां पर आदर्श जीवन शैली को अपनाया जाता है।
समय का महत्व एवं सहनशीलता का आदर्श जीवन मे एक विशेष महत्व होता है । आम तौर पर सभी संयुक्त परिवारों में बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर अत्याधिक सकारात्मक प्रभाव रहता है । जहां सभी एक दूसरे के साथ प्रेम और सहयोग की भावना से रहते हैं। घर के नियम और कायदों का सभी समान रूप से पालन करते हैं। धैर्य और सहनशीलता संयुक्त परिवार का एक अभिन्न गुण है। यहां सभी एक दूसरे के साथ विपरीत परिस्थितियों में भी कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। एक दूसरे के भावनाओं और विचारों का सम्मान करते हैं।व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास में परिवार का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में महत्वपूर्ण योगदान होता है एक आदर्श जीवन को परिभाषित करने में परिवार की अहम भूमिका होती है।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Gunjan Kamal
15-Nov-2022 05:08 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Haaya meer
07-Nov-2022 07:05 PM
Amazing
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Muskan khan
07-Nov-2022 04:15 PM
Well done ✅
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