Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022...सावन का महीना..

किस सोच में डूबी हुई हो मैडम....। मैं कबसे तुम्हें आवाज लगा रहा हूँ बाहर....! 


अरे आप.... आज जल्दी आ गए....! 

तुम बोलो तो फिर से चला जाऊं...! 

अरे नहीं मैं तो.... 

वो छोड़ो ये बताओ.... कहाँ खोई हो... क्या सोच रहीं हो.... कुछ परेशानी हैं क्या....! 

अरे नहीं.... परेशानी कैसी होगी....। मैं तो बस ऐसे ही...। 

तुम नहीं बताना चाहती हो तो कोई बात नहीं.... लेकिन इतना तो गारंटी से कह सकता हूँ मुद्दा कुछ गंभीर हैं....। 

गंभीर हैं , नहीं हैं, पता नहीं राकेश.... लेकिन सोचने जैसा तो हैं..। 

इसका मतलब मैं सही था की कुछ बात हैं...। चलो अब बता भी दो क्या बात हैं..। 

राकेश मैं वो शांति की बात को लेकर थोड़ा परेशान हूँ...। 

क्या हुआ.... फिर से.... उसके पति ने...। 

हाँ राकेश...लेकिन मुझे गुस्सा इस बात का हैं की.... इन सब में लोग त्यौहार को खराब करते हैं...। 

मतलब...! 

शांति बता रहीं थीं.... सावन के महिने में उसका पति दिन को भी पीकर आता हैं... और उससे कहता हैं.... सावन का महिना तो होता ही भांग के नशे में झुमने के लिए हैं..। वो बता रहीं थीं.... उनके वहाँ इस पूरे महिने में लोग खुलेआम जूआ करते हैं...। एक दूसरे के घर जातें हैं.... वहाँ पीते पिलाते हैं... जूआँ करते हैं...इस तरिके से सावन का महीना मनाते हैं...। तुम जानते हो राकेश पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था...। 
पहले सावन के महीने में विवाहित बेटियां अपने मायके जाती थीं.... उनके स्वागत लिए तरह तरह के पकवान बनाए जाते थे...। गांव में पेड़ों पर झूले लटकाए जाते थे...। सभी वहाँ शाम के वक्त झूला झुलने जाती थीं...। गाने गाकर.... मस्ती मजाक की जाती थीं...। सावन का महीना तो भगवान शिव जी का महीना होता हैं...। सभी औरतें, लड़कियां.... भगवान शिव की पूजा अर्चना करती थी..। लेकिन इन सब में कहीं भी नशे का जिक्र तक नहीं होता था...। 
लेकिन आज.... अपने शौक और जरुरतों के हिसाब से लोगों ने त्यौहार को भी नहीं छोड़ा हैं...। ऊपर से तर्क ऐसे ऐसे देते हैं की.....। शांति ने बताया की जब उसने पहली बार अपने पति को टोका तो उसने कहा..... भगवान शिव को भांग पसंद हैं.... वो भी भांग पीकर झूमते हैं....तभी तो शिवरात्रि पर भांग बनाई जाती हैं....।हम तो सिर्फ शराब पीते हैं...। 

अब तुम ही बताओ राकेश.... कौनसे शास्त्रों में ऐसा लिखा हैं की सावन का महीने में शराब पीओ.... जूआँ करो....?? 

तुम्हारा सोचना बिल्कुल सही हैं..... लेकिन तुम कर भी क्या सकतीं हो...। जब लोगों ने अपनी सहुलियत के हिसाब से.... अपने फायदे के लिए नियम बना ही लिए हैं तो.... हम कुछ नहीं कर सकते...और ये सच हैं.... मेरे भी आफिस में बहुत लोग ऐसे हैं जो सावन में इस तरह के प्रोग्राम बनाते हैं...। लेकिन ऐसा हर जगह नहीं होता... कुछ कुछ राज्यों में ही ऐसा होता हैं.... शायद हमारे यहाँ ज्यादा होता हैं..। बाकी बहुत जगहों पर तो मैने भी देखा हैं लोग इस महीने में भक्ति भाव के साथ पूजा करते हैं...। 

मुद्दा यह नहीं हैं राकेश की कहाँ होता हैं कहाँ नहीं.... मुद्दा ये हैं की त्यौहार का नाम लेकर... ये सब करना क्या सही हैं..? 
एक वक्त था जब सावन का नाम आतें ही सबसे पहले पेड़ों से लटकते झूले जहन में आतें थे...। गुझिया और घेवर की खुश्बू से मन ललचा जाता था....। आज वो सब ना जाने कहाँ खो गए हैं...।



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4 Comments

Mithi . S

08-Nov-2022 08:30 PM

Very nice

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Mithi . S

08-Nov-2022 08:30 PM

Behtarin rachana

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Palak chopra

07-Nov-2022 03:35 PM

Shandar 🌸🙏

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