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30 Days Festival Competition लेखनी कहानी -17-Oct-2022 निर्जला एकादशी (भाग 22

शीर्षक :-  निर्जला एकादशी





 ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सर्वश्रेष्ठ एकादशी माना जाता है, इस दिन लोग निर्जला ब्रत रखते हैं उस दिन पानी भी नही पीते है ।  इस दिन घड़े और पंखों के दान का विशेष महत्व है, ।

                      इस दिन लोग जगह जगह  ठन्ठे व मीठे पानी की स्टाल लगाकर आने जाने वालौ को पानी पिलाते है। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन व्रत रखने वाले को सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य और चौबीस  एकादशियों के व्रत का पुण्य और फल प्राप्त होता है। इसके विषय में यह भी कहा जाता है कि जो फल सूर्य ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर में डुबकी लगाने से मिलता है, वही फल इस अकेले एकादशी का व्रत रखने से मिल जाता है।

                इस एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहते है क्यौकि इस व्रत का संबंध पांडु पुत्र भीम से है।   महाभारत काल का एक प्रसंग इस निर्जला एकादशी के संबंध में प्राय: सुना जाता है और इसे ही व्रत की कथा के रूप में स्वीकार किया जाता है। कहते हैं कि महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने एक बार व्यास जी से कहा कि भगवन्! युधिष्ठिर, अर्जुन नकुल, सहदेव, कुन्ती और द्रौपदी सभी एकादशी के दिन उपवास करते हैं तथा मुझसे भी कहते हैं कि मुझे भी ये उपवास रखना चाहिए। 

             हे भगवन     आप तो जानते ही हैं कि मुझसे भूख बर्दाश्त नहीं होती है। इसलिये मैं मैं एकादशी वाले दिन उपवास कैसे रखूं। मैं दान देकर और भगवान् वासुदेव की पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करना चाहता हूं। इसलिये आप कृपया मुझे बतायें कि मैं इस व्रत को कैसे करूं। क्या बिना अपनी काया को कष्ट दिये मैं यह व्रत कर सकता हूं। 

              भीम की ये बातें सुनकर मुनि वेदव्यास ने कहा यदि तुम स्वर्गलोक जाना चाहते हो और नरक से सुरक्षित भी रहना चाहते हो तो तुम्हें केवल एक ही एकादशी का व्रत रखना होगा। यह सुनकर भीम बोले कि एक समय के भोजन करने से तो मेरा काम नहीं चल सकता। मेरे पेट में वृक नामक अग्नि निरंतर प्रज्वलित रहती है। पर्याप्त भोजन करने पर भी मेरी भूख शांत नहीं होती है। इसलिये हे ऋषिवर आप कृपा करके मुझे ऐसा व्रत बताइए कि जिसके करने से ही मेरा कल्याण हो जाए। 

              भीम की इसतरह की बात सुन कर व्यास जी ने कहा कि ज्येष्ठ पक्ष की शुक्ल एकादशी को निर्जला व्रत किया करो। स्नान आचमन को छोड़कर पानी भी ग्रहण नहीं करना। आहार लेने से व्रत खंडित हो जाता है, इसलिये तुम आहार भी मत खाना। तुम जीवन पर्यंत इस व्रत का पालन करो। इससे तुम्हारे पूर्व जन्म में किए गए एकादशियों के वाले दिन खाये गये अन्न के कारण मिलने वाला पाप समूल रूप से नष्ट हो जाएगा। इस दिन तुम्हें ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और गौ का दान करना चाहिए। 

              महर्षि व्यास की आज्ञा के अनुसार पांडु पुत्र भीम ने बड़ी हिम्मत के साथ निर्जला एकादशी का यह व्रत किया। लेकिन वह सुबह होते होते संज्ञाहीन हो गये और मूर्च्छित हो गये। तब उनके चारों भाइयों ने उन्हें गंगाजल, तुलसी का चरणामृत पिलाकर मूर्च्छा से बाहर निकाला। कहते हैं कि तभी भीम पाप मुक्त हो गए।

      उस समय से इस ब्रत का नाम भीमसेन एकादशी भी होगया है। इस कलयुग में जो भी ब्यक्ति श्रद्धा से यक्ष ब्रत करता है उसे  चौबीस एकादशियौ का फल प्राप्त होता है।

30 Days Festival Competition हेतु  रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "



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6 Comments

Mithi . S

08-Nov-2022 08:31 PM

Behtarin rachana

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Gunjan Kamal

07-Nov-2022 08:19 PM

शानदार

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Sachin dev

07-Nov-2022 04:17 PM

Nice 👌

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