Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय तुम्हारा चेहरा

-तुम्हारा चेहरा-(
जब चंद देखा तो तुम याद आ गये ।
मेरे नैनों के आँसुओं की बरसात बन तुम छा गये।
ए चाँद सितारों मत मुस्कुराओ तुम 
मेरे प्यार की हँसी मत उड़ाओ तुम -
पतझर निढाल झूमी बहार ,
जब याद ने सेहरा उलट देखा ,
तो तुम पास यों आ गये।
चमन की बहारों मत झिलमिलाओ तुम 
हवा जो चली है मत यों लहराओ तुम-
पल-पल है  भार,मन उठा पुकार ,
जब रात ने करवट बदल  मोड़ी तो,
जाने तुम कितनी दूर जा पड़े।
सहर की बगिया में खिलखिलाते फूल तुम
धूल के हर कण में महकती प्रीत का शूल तुम
लिपट कर दिल सिसकता रहा करार ,
जब धुआँ बन ज़िंदगी उड़ी तो 
हूक बन ‘जय’में यों समा गये।
—जब चाँद देखा तो तुम———-
———-********——
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर———-

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6 Comments

Palak chopra

09-Nov-2022 04:08 PM

Shandar 🌸🙏

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Swati chourasia

09-Nov-2022 10:44 AM

बहुत खूब 👌

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Khan

08-Nov-2022 11:36 PM

Bahut khoob 😊🌸

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