Rajesh rajesh

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यादें

मानव अपने माता-पिता और छोटी बहन के साथ चंडीगढ़ में रहता था। जब भी गुरु नानक जयंती आती थी,  तो मानव अपनी मां छोटी बहन  और पड़ोस की लड़कीदीपा के साथ गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारे जरूर जाता था। और गुरुद्वारे पहुंचकर सब के साथ गुरुद्वारे पर माथा टेकने   के बाद सेवा करता था। और फिर सबके साथ मिलकर कीर्तन गुरुवाणी सुनता था। 


गुरु नानक जयंती के विषय में मानव की मां मानव की छोटी बहन और दीपा को कुछ जानकारी देती है कि "गुरु नानक जी की एक बड़ी बहन भी थी। जिनका  नानकी था। नानकी सिख धर्म की एक महत्वपूर्ण धार्मिक शख्सियत है। और पहले गुरु सिख के रूप में जानी जाती है। वह अपने भाई की अध्यात्मिक  प्रतिभा का एहसास करने वाली पहली शख्सियत थी। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व और गुरु पर भी कहते हैं। इस दिन गुरुद्वारे में लंगर होते हैं, कीर्तन गुरुवाणी होती है। और सिख लोग गुरुद्वारे में सेवा करते हैं।"
 मां की गुरु नानक जयंती कि यह जानकारी मानव की छोटी बहन और दीपा को बहुत अच्छी लगती है। 

गुरुद्वारे के बाहर खड़े होकर रंगबिरंगी लाइटों को देखकर  मानव को बहुत अच्छा लगता था।
गुरु नानक जयंती का जुलूस निकलते हुए देखते थे। और जगह-जगह लंगर से प्रसाद लेकर खाते थे। और बहुत देर तक मेले की रौनक का आनंद लेते थे। मानव के लिए गुरु नानक जयंती एक यादगार दिन वन गई थी।
 मानव को अपने लिए दीपा की आंखों में प्रेम तो दिखाई देता था, पर वह अपने प्यार को दीपा के सामने इजहार करने से डरता था।
 गुरु नानक जयंती के दूसरे दिन जब मानव दीपा और मानव की छोटी बहन विद्यालय जाते थे, तो दीपा पूरे रास्ते मानव की छोटी बहन से गुरु नानक जयंती के बारे में बात करती जाती थी। मानव और दीपा का चंडीगढ़ में अपना खुद का घर था।
 दीपा के परिवार के साथ और अपने माता-पिता बहन के साथ मानव का जीवन हंसी खुशी से कट रहा था।

12वीं कक्षा पास करने की खुशी में दीपा और मानव अपने दोस्तों को छोटी सी पार्टी देते हैं। वह दिन में जब उस पार्टी की तैयारी कर रहे थे, तो उसी समय दो पुलिस वाले मोटरसाइकिल पर मानव के घर का पता पूछते हैं। और मानव की मां को एक बुरी खबर सुनाते हैं, कि मानव के पिताजी की एक्सीडेंट से मृत्यु हो गई है। 
पिताजी की मृत्यु के कुछ महीनों बाद मानव अपनी मां छोटी बहन के साथ मामा जी के घर दिल्ली रहने चला  जाता हैं। और उसे पता ही नहीं चलता कि चंडीगढ़ छोड़े हुए कब 5 बरस बीत गए। और गुरु नानक जयंती का दिन आ जाता है। 
मानव सिविल इंजीनियर का कोर्स कर रहा था। इंस्टीट्यूट सेछुट्टी होने के बाद शाम को जब घर आ रहा था, तो गुरु नानक जयंती के धार्मिक जुलूस के कारण रोड पर जाम लग जाता है। और मानव को बस से रास्ते में ही उतरना पड़ता है।
गुरुद्वारे के लाउडस्पीकर से कीर्तन और गुरु वाणी की आवाज सुनकर मानव एक शांत जगह चुपचाप बैठ कर कीर्तन और गुरु वाणी की आवाज सुनने लगता है।
 मानव जब अपनी आंखें खोलता है, तो उसे रंग बिरंगी लाइट और गुरुद्वारे के आसपास की रौनक देखकर चंडीगढ़ में दीपा के साथ मनाई गुरु नानक जयंती की सारी बातें याद आने लगती है।
 उस दिन मानव उदास और दुखी मन से सोचता है, कि अब तक तो दीपा की शादी भी हो गई होगी।
उस दिन उसे अपने पिताजी और दीपा की गुरु नानक जयंती की रौनक देखकर बहुत ज्यादा याद आने लगती है। और यह सोचते सोचते उसकी आंखों से आंसू टपकने लगते हैं।
तभी मानव की छोटी बहन के साथ दीपा वहां आकर मानव के सामने खड़ी हो जाती है।
दीपा दिल्ली अपनी मां के साथ अपने चाचा जी के घर गुरु नानक जयंती मनाने आई हुई थी।
 दीपा को पास देख कर मानव का बीता हुआ समय वापस आ जाता है। और वह गुरुद्वारे पर खुशी से मत्था टेककर दीपा के सामने अपने प्यार का इजहार कर देता है। और उस दिन मानव को दीपा के रूप में एक सुंदर अच्छी पत्नी मिल जाती है।

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10 Comments

Mithi . S

09-Nov-2022 11:27 AM

बेहतरीन रचना

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Abhinav ji

09-Nov-2022 09:07 AM

Very nice👍

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Punam verma

09-Nov-2022 07:38 AM

Very nice

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