इल्म।
श्मशान पर पडी,
ढेरी राख की,
को देख ,
. "इल्म " हुआ।।
क्या ये है वो,
इज्जत, रुतबा,
अमीरी,गरीबी,
सौन्दर्य, कुरूपता,
मान,अभिमान, ,
ज्ञान, अज्ञान,
सुख , दुख ,
मान ,अपमान
अच्छा बुरे का
पीटता ढोल।।
शोर ,
मेरे तेरे का,
गुरुर खुद के,
कुछ होने का।।
किसी को ,
नीचा मानने का,
हस्ती के खाक,
हो जाने का।।
शख्स की शख्सियत,
कैसे महज मिट्टी रह गई ,
वो जिक्र, फिक्र, की सब बाते,
बन ढेरी राख की ,गंगा मे बह गई।।
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संदीप शर्मा।।
Gunjan Kamal
15-Nov-2022 05:53 PM
बहुत ही सुन्दर
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Sandeep Sharma
17-Nov-2022 10:06 PM
आभार आदरणीय जयश्रीकृष्ण।
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Teena yadav
09-Nov-2022 08:08 PM
बहुत सुन्दर
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Sandeep Sharma
17-Nov-2022 10:06 PM
धन्यवाद आदरणीय जयश्रीकृष्ण
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Sachin dev
09-Nov-2022 04:21 PM
Nice 👌
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Sandeep Sharma
17-Nov-2022 10:06 PM
आभार आदरणीय जयश्रीकृष्ण
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