बेपरवाह
बड़ी मुश्किल है किसी की प्रशंसा करना
बड़ी मुश्किल है किसी को आगे बढ़ते देखना
बड़े बेपरवाह होते जा रहे वे लोग
चाहते हर बातों में खुद की तारीफ
पर दूसरों की करने से बचते हैं
याद करो सीखा था जो बचपन में
माँ के स्वादों में वाह वाह करना
रिश्तों में हरियाली बन कर तुम
फूलों सी ख़ुशबू फैलाते थे
मत बन इतने अभिमानी तुम
संग कोई फिर न रह जायेगा
प्रशंसा के दो बोलों से
अपने बन जायेंगे वो सब
जो दोगे तुम वो पाओगे
गर चाहते हो तारीफ़ें पाना
तो कर लो तुम भी आगे बढ़ कर
लाओ मुस्कानों की बौछार
हो जाओगे उनकी खुशियों में शामिल
पाना है तो देना होगा
बस कर लो तुम एक बार कोशिश
अर्चना
बरोडा
Bhartendra Sharma
18-Feb-2021 04:37 PM
वाह। व्यावहारिक सत्य का निरूपण।
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