मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-3)
कहानी में नया मोड़ आ गया
(...संजना दिव्या और राज...)
राज बस यही सोचता है कि दिव्या से बात कैसे करूँ। पर बिना वजह बात भी नही कर सकता। राज रोज छिप छिप कर ऑब्जर्व करता कि वो बोलती कैसे है। कैसे बात करना उसे पसंद है। एक दिन राज को कुछ बाते पता लगी दिव्या के बारे में,
दिव्या एक अमीर घर की लड़की है। उसके पापा वकील है।और अपने घर की लाडली लड़का भी लड़की भी वही है।थोड़ा जिद्दी है पर दिल की भोली है। उसके पापा ही अक्सर उसे लेने आते थे। अपनी कार लेकर। एक दिन संजना से उसने बात की की आज उसके पापा नही आ रहे मैं ऑटो मैं जाऊंगी। तो राज ने सुन लिया। संजना के जाने के बाद दिव्या ऑटो का इंतजार कर रही थी। राज ने हेलमेट पहना अपनी एक्टिवा को ले गया और उसके पास जाकर बोला-
राज- एक्सक्यूजमी
दिव्या- (पूरे कॉन्फिडेंट लड़की थी) यस
राज- जी क्या आप बता सकते हो 7 सेक्टर A ब्लॉक कहा है।
दिव्या- जी (सामने इशारा करते हुए)वो जो सामने लाइट है वहा से राइट लेना है उसके बाद कोई टर्न नही लेना है।
राज- जी 7 सेक्टर का रास्ता पूछ रहा हूँ। आप ऊपर जाने का रास्ता क्यो बता रहे हो। नही पता तो मना कर दो । नो प्रॉब्लम
दिव्या- एक्सक्यूजमी । ऊपर जाने का रास्ता , मैं समझी नही।
राज - कोई टर्न नही लूंगा आगे दीवार आयी तो।
दिव्या- जी...ओह्ह.... मजाक मत करो। , आपको नही समझ आ रहा है। किसी और से पूछ लो
(इतने में एक ऑटो आयी)
दिव्या- ऑटो, औटो, ,, , .........(ऑटो चली गयी रुकी नही)
राज- ओह्ह भाग गई ऑटो
दिव्या- सब आपकी मेहरबानी है।
राज- अच्छा आपने कहाँ जाना है।
दिव्या- (लंबी सांस छोड़कर , सिर पर हाथ रखते हुए दबे स्वर में , शायद गुस्से में)जहाँ का आप एड्रेस मांग रहे हो।
राज- यु मीन... आप वही जा रहे हो जहा मैने जाना है।.. (कुछ सोचते हुए) आपको एक्टिवा चलानी आती है।
दिव्या- जी.... बाइक भी आती है।
राज- ओह्ह माय गॉड। बाइक भी।
दिव्या- आपको रास्ता बता दिया आप चलते बनो, क्यो मेरा दिमाग खा रहे हो।
राज- मैं सोच रहा था कि आप मेरी एक्टिवा चलाकर मुझे 7 सेक्टर तक ले जाओ।इससे आपकी भी हेल्प हो जाएगी मेरी भी। न आपको ऑटो का वेट करना पड़ेगा न मुझे भटकना पड़ेगा।
दिव्या - आप क्यो नही चलाओगे।
राज - आपकी सुरक्षा है। मुझे आपपर पूरा भरोसा है कि आप मुझे सेक्टर 7 ही ले जाओगे। लेकिन आप मुझपर भरोसा नही कर सकते। क्या पता मैं आपको गलत जगह ले जाऊं। अनजान लोगों पर भरोसा करना भी नही चाहिए। दिव्या- चलो ठीक है । चाबी दो।(राज उसको चाबी देता है।)(दिव्या एक्टिवा स्टार्ट करके ले जाती है और राज पीछे से बैठकर आराम से जाता है।)
7 सेक्टर पहुंचकर दिव्या - ये लो आ गया 7 सेक्टर।
राज - ओके, थेँक्यु
दिव्या - उतरो तो सही।
राज - ओह सॉरी।
(दिव्या उसे उतारकर जा रही होती है। राज आवाज लगाता है)
राज- एक्सक्यूजमी....मेरा नाम राज... एंड आपका
दिव्या - मैं बताना जरूरी नही समझती।(जाने लगती है)
राज - okk by दिव्या
दिव्या- (हैरानी से)- आपको मेरा नाम कैसे पता।
राज - (मुस्कराते हुए) आपके बैग में लिखा है।
(दिव्या अपने बैग मैं देखती है तो दिव्या लिखा होता है मुस्कराते हुए बोलती है)
दिव्या- ओके बाय(दिव्या चली जाती है । और राज भी वापस घर चले जाता है।)
राज घर आता है। और यही सोचते रहता है कि अगली मुलाकात में क्या बहाना लगाए। और उसने तो दोस्ती करके संजना को इम्प्रेस करना था। इसलिए वो घर आकर भी नेक्स्ट मीटिंग की प्लानिंग बना रहा था। राज का दूसरा शौक म्यूजिक सॉन्ग सुनना था। इसलिए वो हमेशा स्पीकर में जोर जोर से गाने लगा देता है। जिस कारण अक्सर मौसी से डांट सुन्नी पड़ती है। शायद जोर से इसलिये भी लगाता है कि संजना सुने और समझे। अभी जो सांग चलाया है वो है। निगाहों में देखो मेरे जो है बस गया
वो है मिलता तुमसे हूबहू...
वो...ओ....जाने तेरी आंखे थी या बाते थी वजह
हुए तुम दिल की आरजू....
तू जाने ना
(गाना भी बज रहा था। मौसी कुछ कह रही थी उसने सुना नही। तो मौसी पास आकर गाने बन्द करते हुए।
मौसी- मैं तेरा मोबाइल भी और ये स्पीकर भी बाहर फेंक दूंगी, 24 घंटे हल्ला गुल्ला करता है।
राज- झूट कम कम बोलो..।अभी तो आया ड्यूटी से....
मौसी- तो आते ही ये गाने क्यो लगा देता है। या फिर गाने ही अच्छे सुनता। रोने वाले से गाने। )
राज- फीलिंग समझो गाने की उसके पीछे की स्टोरी देखो....
मौसी- तुझे दिखती है पीछे की स्टोरी। मेरा तो सिर दर्द होता है ऐसे गाने से। चल जा मार्किट से आटा ले आ। कल भी कहा था। भूल गया था लाना। जब बिल्कुल खत्म हो जायेगा तब लाएगा।
राज- जा रहा हूँ पांच मिनट रुको।
मौसी- क्यो
राज- छींक आ रही है.( छींकते हुए)
(राज जाता है आटा लाता है।)
अगले दिन
राज फिर दिव्या से मिलने की तरकीब निकलता है।
(दिव्या संजना एक दूसरे को बाय बोलकर संजना अपने रास्ते चली जाती है। जबकि दिव्या वही पर खड़ी होकर पापा का इंतजार कर रही थी। पहले तो राज ने सोचा की उसके पापा के आने तक दिव्या से बात कर लेता हूँ। फिर उसने सोचा अगर उसके पापा ने उसके साथ देख लिया तो दिव्या पर भी सवाल उठाएंगे। मेरा तो जो होगा सो होगा। गड़बड़ हो जाएगी। कुछ और सोचता हूँ ।
अब राज कुछ और सोचता इससे पहले दिव्या उसके बगल में आकर उसके कंधे को नॉक करते हुए बोली-- एक्सक्यूजमी,,,, क्या आप आज भी मुझे ड्राप कर दोगे। मैं चला लूंगी नो प्रॉब्लम।
राज- क्यों नही। मैं छोड़ दूंगा।
दिव्या- आपको कोई प्रॉब्लम तो नही होगी।
राज- नो प्रॉब्लम यार दोस्ती में ये सब होता है।...
ये राज के ख्याल थे जबकि दिव्या वहाँ आयी नही थी।
एक छोटा सा लड़का राज के घुटने को नॉक करते हुए कह रहा है- दो दिन से खाना नही खाया बाबूजी कुछ दे दो। भगवान आपका भला करेगा । राज का सपना था टूट जाता है। और वो देखता है कि " दिव्या तो वही खड़ी है जहाँ थी । उसके पापा आ गए है और वो गाड़ी मैं बैठकर जाने लगती है। उसके देखते देखते राज अपने जेब से पर्स निकलता है और एक नोट निकालकर बच्चे को देता है देखता भी नही है नॉट को । इतने में चलती गाड़ी जो कि राज के पास से होकर गुजरी उसमे से दिव्या की नजर राज पर पड़ी। जो कि बच्चे को सौ रुपये थमा रहा था। राज को नही पता चला कि दिव्या ने उसे देख लिया। अब राज भी अपनी एक्टिवा लेकर घर को चला गया।)
(दिव्या भी राज के बारे में सोच रही थी। कि कैसे उसनेअपनी एक्टिवा की चाबी उसे थमाई और कैसे उसे बोला "आपका नाम आपके बैग में लिखा था" और सौ का नोट बच्चे को पकड़ा रहा था"दिव्या सोचते सोचते रुक गयी और सोचने लगी मैं उसके बारे क्यों सोच रही हूँ।)
( एक तरफ राज भी उसे नजर आने का मौका नही छोड़ता। दूसरी तरफ संजना दिव्या से रोज पूछती तेरा कोई बोयफ्रेंड बना या नही। )
संजना- दिव्या ये तो बता आजकल तू इतनी खोई खोई क्यों रहती है।
दिव्या- खोई खोई .... वो भी मैं.... मतलब ही नही।
संजना- कही कोई दोस्त तो नही बन गया तेरा। दिव्या- (कुछ छिपाते हुए)अरे नही ऐसी कोई बात नही है। मेरे से कौंन करेगा दोस्ती। मरना है किसी ने।
संजना- फिर भी किसी ने तो दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया होगा।
दिव्या- (राज को याद करते हुए जो उसे कही न कही नजर आ जाता है आजकल, पर उससे बात नही हो पाती है। लेकिन दिव्या एक बार उससे बात करना चाहती है क्योंकि हर जगह वो कुछ अच्छा करते नजर आता है। जैसे- कही बूढ़ी औरत को पानी पिलाते। कभी अंधे आदमी को सड़क पार कराते)- अभी तक तो नही।
( संजना ये सोचते हुए टेंशन फ्री हो जाती है कि 15 दिन हो गए राज अभी तक दिव्या से मिला भी नही। दोस्ती क्या खाक करेगा। वैसे भी मेरे से इतना डरता है जो, जबकि मैं उसकी पड़ोसन हूँ। किसी अजनबी से कैसे बात करेगा।)
क्लास खत्म होती है। और संजना और दिव्या कुछ दूर चलकर रोज की तरह अपने अपने रास्ते लग जाते है। और राज दिव्या से रोज की तरह मिलने की कोशिश करता। आज फिर उसे एक मौका मिला ।दिव्या से बात करने का।दिव्या ऑटो स्टैंड पर ऑटो को रोक रही थी इतने में राज आया और जानबूझकर बोला
राज- (हेलमेट की वजह से पहचान में नही आ रहा था।) एक्सक्यूजमी , 7 सेक्टर को जाना है आप बता सकते है रास्ता।
दिव्या - चलो उतरो मैं छोड़ देती हूँ आपकी भी हेल्प हो जाएगी मेरी भी।
राज - (हेलमेट उतारते हुए) अरे आपने हेलमेट में भी पहचान लिया।
दिव्या- आवाज ,.... आवाज से पहचाना मास्टरजी।
राज - (उतरते हुए।) अरे वाह मेरी आवाज भी याद है। आइए मुझे 7 सेक्टर तक छोड़ दीजिए।
दिव्या- इस बार मुझे आपपर पूरा भरोसा है कि आप गलत नही ले जाओगे।
राज- इतना भरोसा दूसरी ही मुलाकात में। क्यो भला। दिव्या- क्योकी मुझे पता है इस बार आप रास्ता नही भटकोगे। आपको रास्ता याद हो गया होगा।
राज - अफगोस। चलो।
(इस बार राज एक्टिवा ले जाता है)
राज- आज पापा नही आये लेने , क्यो।
दिव्या- अब वो 15 दिन तक नही आएंगे। दिल्ली गए है केस के सिलसिले में।
राज- वाओ....
दिव्या - आप क्यों इतना खुश हो रे।
राज - (मन ही मन मे) 15 दीन तक आपको दोस्त तो बना ही लूंगा।
दिव्या - बताओ इतना खुश क्यो हो रे।
राज - बस यूं ही
दिव्या - अच्छा यहाँ आप आते क्यो हो।कोई खास काम। राज- अभी नही बता सकता , जब काम पूरा हो जाएगा तो बताऊंगा।
दिव्या - ओक्के आपकी मर्जी।
(ऐसे ही 15 दिन तक राज दिव्या को छोड़ने गया। धीरे धीरे इनकी दोस्ती इतनी गहरी हो गई। की इनके फ़ोन में चैटिंग , एक दूसरे का दर्द, परेशानियां, कुछ घर के किस्से, तो कुछ बाहर की बाते। राज ने दिव्या को ये भी बता दिया कि संजना को हमारी दोस्ती के बारे में कुछ मत बताना वो हमारी पड़ोसन है। मेरे से जलती है। हर बात हमारे घर मे बता देती है। दिव्या ने प्रोमिस्स किया कि जब तक मैं ना कहूँ वो ये बात किसी को नही बताएगी।)
अब राज ने संजना की शर्त पूरी कर ली थी बस इंतजार था तो सही वक्त का , जिसमे की राज संजना के सामने दिव्या को ले जाएगा।
Swati chourasia
01-Sep-2021 08:53 PM
Very beautiful
Reply
Sana khan
01-Sep-2021 05:57 PM
Bhut khoob
Reply
Aliya khan
01-Sep-2021 12:22 PM
Khubsurat
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