Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -12-Nov-2022 "प्रेम से निवेदन"

5 वर्ष के बाद बुआ फूफा जी हमारे घर आए। मेरी छोटी बहन की शादी के समय फूफा जी बहन की शादी में उनकी पसंदीदा रबड़ी क्यों नहीं बनाई इस बात को लेकर पिताजी से नाराज होकर बहन की शादी बीच में ही छोड़ कर चले गए थे।


 इस बार पिताजी ने उनकीखातिरदारी राजाओं महाराजाओं जैसे की, लेकिन उन्होंने सारे रिश्तेदारों में पिताजी की बदनामी कर दी, कि उन्होंने झूठी शान और शौकत दिखाने के लिए मेरी इतनी बढ़िया खातिरदारी की।

 बुआ जी  फूफा जी  फिर 6 महीने बाद दोबारा आए तो पिताजी ने साधारण तरीके से उनकी खातिरदारी की, तो उन्होंने सबके सामने कहना शुरू कर दिया था, कि पिताजी घमंडी हो गए हैं। और अतिथि देवो भव का अर्थ भूल चुके है।

 मुझे फूफा जी पर क्रोध आया तो पिताजी ने मुझे समझाया और कहा "शालीन तुम  कुछ भी कार्य करोगे या कुछ भी कहोगे  तो, कुछ तो लोग कहेंगे"

 उस दिन मैं इस वाक्य का अर्थ ठीक से समझ नहीं पाया था। कल सुबह प्रीति और मेरे तलाक की कोर्ट में पहली सुनवाई है। इस तलाक का सबसे बड़ा कारण यही वाक्य है, "कुछ तो लोग कहेंगे" क्योंकि मैंने हमेशा प्रीति की भावनाओं की कदर की और  उससे सच्चा प्रेम किया।और इस दुनिया ने मुझे कहा जोरू का गुलाम और अपने माता-पिता को धोखा देने वाला बेटा।

 मुझे आज भी वह करवा चौथ याद है। मेरी छोटी बहन का पहला करवा चौथ था। हमारे रीति रिवाज है, कि पहले करवा चौथ पर मायके से करवा चौथ की पूजा का सामान लड़की की ससुराल वालों के कपड़े जाते हैं। मां की तबीयत खराब होने की वजह से पिताजीअकेले ही छोटीबहन की ससुराल गए औरमुझे मां की देखभाल के लिए घर पर ही रुकना पड़ा।

 रेल लेट होने की वजह से करवा चौथ के व्रत की रात पिताजी आधी रात को घर पहुंचे। जब तक मां ने व्रत नहीं खोला मैंने प्रीति को भी व्रत नहीं खोलने दिया। क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे। उस दिन से प्रीति और मेरे बीच मनमुटाव शुरू हो गया।

 और एक और घटना ने मेरे और प्रीति के शादी के रिश्ते को तलाक तक पहुंचा दिया। यह घटना थी, की मैंने B.com मैं ग्रेजुएशन किया था। इसलिए प्रीति और मेरी सासू मां चाहती थी, कि मैं अपने छोटे साले को ऑफिस की छुट्टी होने के बाद एक घंटा दसवीं कक्षा की गणित की ट्यूशन पढ़ाऊंगा हूं।

 मैंने  एक महीने अपने छोटे साले को ट्यूशन पढ़ाई तो, प्रीति के पड़ोसी कहने लगे इनका दमाद अपनी  साले को ट्यूशन पढ़ाने के बहाने अपनी साली से मिलने आता है। अपनी बदनामी के डर से मैंने अपने साले की गणित की ट्यूशन बीच में ही छोड़ दी और वह दसवीं में  गणित में फेल हो गया। और प्रीति ने पति के रूप में मुझेफेल कर दिया।  इस घटना के बाद प्रीति ने तलाक देने की लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। लेकिन लोगों ने कुछ ना कुछ कहना नहीं छोड़ा।

 बहुत दिनों के बाद प्रीति से मिलने की खुशी इतनी ज्यादा थी, कि मैं कोर्ट खुलने से पहले ही पहुंच गया चौकीदार ने मुझे कोर्ट के अंदर घुसने नहीं दिया। मैंने भी अंदर जाने की ज्यादा जिद नहीं की  कहीं चौकीदार मुझे बेवकूफ समझ कर लोगों से कुछ ना कुछ कहने लगे।

 मेरे और प्रीति के केस की सुनवाई में अभी समय था, इसलिए मैं समय बिताने के लिए एक दूसरे केस की कार्रवाई सुनने लगा। केस बहुत ही दर्दनाक था, एक व्यक्ति ने जमीन 
जयाद के बंटवारे के पीछे अपने बड़े भाई के दो मासूम बच्चों और उसकी पत्नी हत्या कर दी थी।  वहां जितने भी लोगों ने उसके इस अपराध की निंदा कर के कुछ भी कहां तो मुझे बहुत सुकून मिल रहा था।

 इतने में कोर्ट में शोर-शराबा होने लग है, पुलिस ने चारों तरफ से कोर्ट को घेर लिया हर तरफ मीडिया जनता थी। क्योंकि एक और दुखद केस उस दिन आया था,कीदो युवकों ने एक नाबालिग लड़की से बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी थी।

 उस दिन मुझे महसूस हुआ जहां जरूरत हो वहां कुछ ना कुछ तो कहना चाहिए। बल्कि वहां नहीं जहां किसी के जीवन की शांति भंग होती हो।
 उसी समय प्रीति सामने से आ गई उसका उस दिन स्वभाव मेरे लिए पहले जैसा प्यार वाला लग रहा था। क्योंकि शादी के बाद पति का घर छोड़ने के बाद कुछ तो लोगों ने उसे भी कहा होगा। कुछ तो लोगों के कहने से मेरी और प्रीति की शादी टूटने से बच गई।

 इसलिए सही विषय और सही समय पर कुछ तो कहना उचित है, लेकिन बिना विषय को समझे नासमझी में कुछ भी कहना बिल्कुल गलत है। इस दुनिया में कुछ तो लोग कहेंगे डर रहना चाहिए।

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11 Comments

Gunjan Kamal

17-Nov-2022 02:18 PM

बहुत ही सुन्दर

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Palak chopra

15-Nov-2022 02:04 PM

Khoob 😊🌸

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Rafael Swann

14-Nov-2022 07:45 PM

Behtreen 🙏

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