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मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-4)

(एक दिन राज घर मे ऐसे ही गाना सुन रहा था। स्पीकर में जोर जोर से।)
गाना पुराने जमाने का था। 
फूल तुम्हे भेजा है खत में
फूल नही मेरा दिल है

(और उसी दिन एक संयोग ये हुआ।
संजना के पापा को उनके बालकनी में एक खत गिरा मिला। जिसमे की कोई नाम नही था बस दो चार शायरी और संजना का नाम लिखा था,
संजना के पापा एक तरफ उस खत को देख रहे दूसरी तरफ राज के घर बज रहे गाने को सुन रहे है। शाम का टाइम था करीब 7 बजे थे।  उनका गुस्सा चरम सीमा पर था। और उन्हें पूरा यकीन था कि वो खत राज ने ही डाला है। फिर भी उन्होंने संजना को बुलाया और खत दिखाया और

पूछा "तू जानती है इस खत के बारे में" (उसे पकडाते हुए।) देख बता किसने भेजा है।संजना मन ही मन में पड़ती है।

 डिअर संजू.
        मैं तुम्हे जब भी देखता हूँ मेरा दिल शायर हो जाता है।आजकल तुम्हारे बारे में सोचना अच्छा लगता है। ये कुछ शायरी लिख रहा हूँ। तुम मेरे दिल का हाल जरूर समझ जाओगे।
*मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया,
मेरी कश्ती को दरिया पार करना ही नहीं आया.*

*एक इज़हार-ए-मोहब्बत ही बस,
होता नहीं हमसे, हमसा माहिर जहाँ में
वरना और कौन है…*

*हमने हमारे इश्क़ का, इज़हार यूँ किया…*
*फूलों से तेरा नाम, पत्थरों पे लिख दिया…!!!*

*अभी बस इतना ही।*     
                      *Your close friend* .

        (जब पूरा पढ़ लेती है तो संजना बोलती है) 
संजना- मुझे नही पता किसने लिखा है क्या लिखा है।
 पापा - मुझे पता है। कौंन है कमीना
 संजना-(डरते हुए ) कौंन है।
 पापा- चल मेरे साथ 
संजना- कहाँ
 पापा- आज इसकी ऐसी की तैसी कर दूंगा। हाथ पैर तोड़ दूंगा साले के। हिम्मत तो देखो उसकी।
(कुछ असामान्य शब्द का प्रयोग करते हुए संजना के पापा ब्लेड पेसर के मरीज होने के कारण गुस्सा कंट्रोल नही कर पाते है)
 संजना- (पापा को रोकते हुए) रहने दो पापा। जाने दो। नाम तो है नही उसमे कुछ 
पापा - तेरा नाम तो है।
(बाहर को जाते हुए) 
(दूसरी तरफ राज और उसकी मौसी अंदर बैठे थे। राज गाने सुनते सुनते अपने मोबाइल में कुछ  काम कर रहा था। और उसकी मौसी भी बैठी थी। अभी मौसी कुछ नही कह रही थी क्योंकि पुराने जमाने का गाना चल रहा था। उन्हें एलर्जी थी तो सैड सॉन्ग से।)
बाहर से संजना के पापा चिल्लाए- राज…….….……(अभी गेट के अंदर भी नही आये थे। बहुत गुस्से में फिर चिल्लाए)  राज......
(लेकिन गाने की आवाज से राज सुन नही पाया। अब वो गेट से अंदर आये और दरवाजा खटखटाया।) 
मौसी - खुला ही है। आ जाओ। (राज को बोलते हुए) ये गाने बंद कर। (राज गाने बन्द करता है) 
अंकल - मैं अंदर नही आऊंगा। राज को बाहर भेजो। और तुम भी आओ।
 (मौसी जल्दी से उठती है और राज और मौसी बाहर आते है। अंकल उसकी मौसी को चिट्ठी थमाते हुए। )
अंकल- हरकत देखो इसकी। लड़की को छेड़ता है मेरी। इसे कोई और लड़की नही मिली छेडने को।
 मौसी - ये क्या बोल रहे हो आप । क्या किया इसने 
अंकल  - (गुस्से में चिल्लाते हुए ) इसी से पूछो प्रेम पत्र लिखता है। 
(राज का कॉलर पकड़ते हुए)
अंकल- मेरी लड़की के आस पास भी नजर आया ना जान से मार दूंगा
(सारी गली के लोग राज के घर के बाहर गेट पर खड़े होकर तमाशा देख रहे थे। संजना भी गेट के अंदर आती है। और चुप खड़ी है। राज ने एक नजर उसकी नजर से मिलाने  की कोशिश करी और जानना चाहा ये चुप क्यों है। पर संजना कुछ नही बोली नजर झुका ली। और अंकल ने अब तक कॉलर नही छोड़ा था) 
राज  - (संजना की तरफ इशारा करते हुए) अपनी लड़की से पूछो किसने भेजा है। मै क्यों भेजूंगा आपके घर चिटठी। 
अंकल  - (गुस्से में आकर राज को थप्पड़ मारते हुए) उसे नही पता मुझे पता है। मैं जानता हूँ। तेरे अलावा ऐसा कोई कर ही नही सकता। कर ही नही सकता! 
मौसी - (राज को अंकल से छुड़ाते हुए) मार क्यो रहे हो आप। मैं समझाती हूँ। 
अंकल - समझा दो । वरना गली में रहने नही दूंगा। किराए के मकान में रहकर हरकते देखो। 
मौसी - तू सच बता तूने चिटठी क्यो भेजी।
राज - मै क्यो भेजूंगा। (मौसी के हाथ से चिट्टी लेते हुए ) मैने नही भेजा।  आपको भी यकीन नही है। संजना जानती है मैं ऐसा नही कर सकता।
 संजना- (संजना को भी राज पर शक है उसे भी लगता है उसी ने किया है ये सब)क्यो माथे पर लिखा है क्या ऐसा नही कर सकता। 
अंकल - तेरी हिम्मत कैसे हुई । जानता है मैं बहुत गंदा आदमी हूँ। बख्शता नही किसी को। तेरी मौसी पहले से रहती है यहाँ उन्ही की वजह से छोड़ दिया नही तो आज... 
मौसी - (बहुत गुस्से में)आप टेंशन मत लो अंकल । दोबारा ऐसा नही करेगा कल सुबह ही भेज दूंगी यहाँ से। जहा मरता है मरने दो। ऐसी औलाद का करना क्या। बेइज्जती करा दी मेरी। खानदान का नाम डूबाने वाला जन्मा है।
(राज हैरान था। पहले संजना  से वो उम्मीद नही थी कि झूठा इल्जाम लगवाए। फिर मौसी को भी उसपर यकीन नही था।)
(अंकल और दो चार पड़ोसी आपस मे लगे थे।आज चिठी फेंकी कल किसी और लड़की को छेड़ेगा। ऐसे लड़को की गली में जरूरत नही है। गली का माहौल खराब कर दिया इसने। कुछ पड़ोसी - ऐसा था नही ये लड़का। पर कब किसके दिमाग मे क्या चले कुछ पता नही। इससे ये उम्मीद नही थी। सबकी चर्चा परिचर्चा चल रही थी। संजना और उसके पापा अभी वही खड़े थे राज अपने कमरे में चला गया था। थोड़ी देर में राज अपने पीठ पर एक बैग टांककर बाहर आया ।)
 मौसी - (गुस्से में) अभी कहाँ जाएगा। चुपचाप अंदर बैठ सुबह तो भगा देना है तुझे। अभी भेज दिया दीदी(राज की मम्मी) क्या बोलेगी मुझे। इतने भरोसे से भेजा था मेरे पास। राज - (चिट्ठी को जेब मे रखते हुए।) मुझपर किसी को भरोसा नही है। और वैसे भी गलती मेरी है। उसकी सजा के लिए इंतजार क्यो करू। 
(राज बैग लेकर पैदल ही घर से निकल जाता है )
 मौसी - (चिल्लाते हुए) कहाँ जाएगा अभी। जा फिर जा मेरी सुनता तो आज बिगड़ता नही।
(राज संजना और अंकल की तरफ को बिना देखे बाहर को चला जाता है। और फिर गली वाले धीरे धीरे गायब हो जाते है अंकल और संजना भी अंदर चले जाते है)
 (राज घर से निकलकर बसस्टैंड तक ऑटो मे जाता है। सोचता है वापस उत्तराखण्ड चले जाएगा । पर बस की सारी शीट बुक हो चुकी थी। लास्ट बस 8 बजे जाती थी । जो कि जा चुकी थी। रात के 8:30 बजे थे।इसी बीच दिव्या का फोन आ रहा था।राज उसके फोन को बार बार काट रहा था। क्योंकि उसका मूड अपसेट था। और वैसे भी जिसके लिए उसने उससे दोस्ती की उसने ही आज अपना असली चेहरा दिखा दिया था। दिव्या परेशान हो गयी।आखिर राज फोन उठा क्यो नही रहा है।मेसेज के भी कोई जवाब नही दे रहा था।)
शायद घर का माहौल भी शांत हो गया था क्योंकि मौसी के भी फोन आने लगे। पर राज ने फ़ोन नही उठाया। दिव्या के बहुत सारे मेसेज आ रे थे।
Plz pick up phon
राज को लगा शायद कोई ज्यादा इम्पोर्टेन्ट काम है। फोन किया। 
दिव्या - (फ़ोन पर) ये क्या बात हुई । फोन क्यो नही उठा रे पागलो की तरह फोन कर रही हूँ। 
राज - (आवाज को काबू में रखते हुए) हा बोलो कुछ काम था।
 दिव्या - अरे एक गुड न्यूज है। मेरी पड़ोस वाली भाभी का बेबी होने वाला था ना। आज उनको बेबी हुआ है । गेस्ट करो क्या हुआ होगा। 
राज - बेबी ही हुआ होगा । बेबी होने वाला था तो।
 दिव्या- ओफ्फो गर्ल या बॉय 
राज- क्या फर्क पड़ता है। तुम बुआ ही बनोगी  ये थोड़ी की लड़की हुई तो बुआ लड़का हुआ तो फूफा। 
दिव्या - आपके इस जोक में मुझे बिल्कुल हंसी नही आई।राज - क्यो।
दिव्या- मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि कुछ छिपा रहे हो मुझसे।
 राज - नही रे। ऐसी कोई बात नही। 
दिव्या - तो फोन क्यो नही उठाया 
राज - वो.....वो मैं बिजी था। 
दिव्या- झूठ, ....तुम्हे मेरी कसम सच बताओ। वैसे भी आपकी आवाज में  पहले वाली बात नही है। 
राज- क्या मतलब पहली वाली बात नही है।
दिव्या- तुम ऐसे कैसे बात कर रहे हो। आज आपकी आवाज बहुत उदास है।
राज- फिल्मो वाले डायलॉग मत मारो, बधाई आपको बुआ बनने के लिए,
दिव्या- बताओ नही तो मैं फोन काट दूंगी, और ना कभी उठाउंगी ना कभी करूँगी। मैं बताती हूँ न हर बात,
राज- मैं उत्तराखण्ड जा रहा हूँ। 
दिव्या - ओहो! कब! और अचानक। 
राज -आज ही जा रहा था। बस छूट गई , अब कल जाऊँगा 
दिव्या- सब ठीक तो है ना घर मे।
राज- हाँ घर वाले सब ठीक है। 
दिव्या-  तो इसमें इतना उदास क्यो हो रे। आ जाओगे 4-5 दिन मैं।
 राज- शायद कभी नही आऊंगा चंडीगढ़ छोड़के जा रहा हूँ।  दिव्या - पर क्यो। साफ साफ बताओ। घबराहट होती है मुझे। राज - मैं घर छोड़कर आ गया हूँ।
( राज ने अपने संजना उसके पापा, अपनी मौसी सब की बात बता दी।)
 दिव्या - मैं अभी संजना को फोन करती हूँ।
 राज - नही तुम्हे मेरी कसम। तुम ऐसा कुछ नही करोगे। दिव्या- तो तुम भी भागकर उत्तराखंड नही जाओगे । ऐसे घर छोड़कर तुमने अच्छा नही किया। एक तरह से जुल्म कबूल कर लिया है। अब जब तक असली डाकिया पकड़ा नही जाता तुम कही नही जाओगे। 
राज- लेकिन कैसे। कैसे पकड़ा जाएगा वो। और मैं कहां रहूंगा इतने दिन। न मौसी के पास जा सकता हूँ न ही कोई होटल में रह सकता।
दिव्या- क्यो, होटल में क्यो नही
राज - पैसे लेके नही आया, बस उत्तराखण्ड जाने तक का किराया है।
दिव्या- डाकिया पकड़ना है। कैसे वो इस वकील की लड़की पर छोड़ दो। और जहाँ तक सवाल है रहने का। आज तुम एडजेस्ट कर लो। कल हमारे पड़ोस में अंकल है उनका रूम खाली है। किराए के लिए।
राज- पर इस महीने सैलरी आने में अभी 1 हफ्ता है। एडवांस मांगेंगे तो। 
दिव्या - अभी कहाँ हो।
 राज - बस स्टैंड हूँ
 दिव्या- अरे यार कैसे रहोगे वहाँ, खाना खाया कुछ।
राज- खा लूँगा अभी। कुछ तो।
 दिव्या - संजना अगर उसके बारे में कुछ जानती होगी तो मुझे जरूर बताएगी। नही बताएगी तो भी मैं पता लगा लूंगी। आप कल सुबह इधर आ जाना अंकल से बात कर लेना।
राज- ठीक है

बात खत्म होती है

(राज बस स्टैंड पर बैठा था करीब 9 बजे थे। बस स्टैंड में उसके शिवा भी बहुत सारे लोग नाईट स्टैंड पर थे।राज बैठकर सोच रहा था आखिर चिठी डाली किसने होगी। और संजना को क्यों नही पता कि वो किसने डाली है। वो  मुझपर शक क्यो कर रही है। राज जेब से खत निकालकर बारीकी से देखता है। ये एक डायरी का पेज था जिसमे ऊपर से लिखा था। june 19 thursday 2014 इसका मतलब ये है कि 2014 की डायरी का पेज है और 19 जून वाला पन्ना है। जिसकी डायरी में ये पन्ना न हो उसपर शक किया जा सकता है। लेकिन ये डायरी वालो को कौंन ढूंढेगा। राज सोच ही रहा था तभी उसके कंधे में किसी ने हाथ रखा। उसने सिर को उठाकर देखा। कि किसने उसके कंधे पर हाथ रखा है। 
राज- (आश्चर्य से)- दिव्या तुम.............. 
दिव्या- हाँ मैं......
 राज- पागल हो गए हो क्या। इतनी रात को यहाँ क्या करने आ गए। 
दिव्या- टाइम वेस्ट मत करो चलो मेरे साथ। 
राज- लेकिन कहाँ।
(दिव्या उसे खींचते हुए ले जाती है सड़क के उस पार एक वेगनार(कार) खड़ी थी। दिव्या राज के आगे के फ्रंट शीट पर बैठाकर खुद ड्राइविंग शीट पर बैठ जाती है।)
 राज- आपको कार चलानी भी आती है। 
दिव्या- (कार स्टार्ट करते हुए) नही मैं धक्का मार के लायी थी।
राज- (हंसते हुए) सुपर जोक्स
दिव्या- चलो कम से कम मैं हंसा तो पायी।
राज- सच मे यार आप ने उस दिन बाइक भी बोला कार तो बोला हो नही, कैसे चला लेते हो।
दिव्या- आसान है तुम भी चाहो तो सिख जाओगे। 2 दिन में। राज- ये तो  आपके पापा की कार है।
 दिव्या- हां । आधे घंटे के लिए मांग के लायी हूँ। अंकल से रूम के लिए बात भी कर आई।
 राज -इतनी इमरजेंसी भी क्या थी। मैं रह लेता वहाँ। कितने तो लोग रहते है।
 दिव्या  - तुम दिव्या के दोस्त हो। दिव्या का रिकॉर्ड है। पहले तो दोस्ती करो नही। करो तो हर मुश्किल में साथ दो।
 राज - पापा को क्या बोलकर मांगी कार, अरे....धीरे चलाओ।
 दिव्या - डोंट वेरी कुछ नही होगा तुम्हे। मैंने पापा से कहा कि   पापा मैं आपकी गाड़ी चलाके आती हूँ। इससे पहले की वो कुछ पूछते भाग आयी। बहाने अब बनाउंगी जाकर। 
राज- क्या बहाना लगाओगे। 
दिव्या-  वो मैं देख लुंगी तुम वो येल्लो पेंट वाले घर मे जाओ और अंकल को बोलो रूम रेंट पर चाहिए। एडवांस मैने भिजवा दिया था उम्मीद है आपको मिल गया होगा।
 राज - पर मैने तो कोई एडवांस नही दिया। 
दिव्या-  वो मैने दे दिया। 
दिव्या- और हाँ। टेंशन मत लेना। वो अंकल बहुत खातिरदारी करेगा। क्योकि उसे आपका शौक बहुत पसन्द आया है। और उसी शौक की वजह से वो आपको रूम दे रहा है। बस पूछे तो हाँ बोल देना। 
राज- कौन सा शौक।
क्या शौक बता दिया है उन्हें। 
दिव्या-  गाने का शौक। 
राज- ओह्ह तो उन्हें भी गाना सुनना पसंद है।
 दिव्या- बहुत ज्यादा।

(दिव्या चली जाती है और राज भी अंकल के घर जाता है ।
.....इस तरह दिव्या राज की मुशीबत में साथ देती है। अब दोनों का मिशन है डाकिया(असली मुजरिम ) को पकड़ना। अगले एपिसोड में कुछ चाल-साजिशें होंगी । धन्यवाद)


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5 Comments

🤫

06-Sep-2021 02:33 PM

वेरी इंटरेस्टिंग स्टोरी...देखते है राज संजना को कन्विंस करने में कामयाब होता भी है या नही

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Seema Priyadarshini sahay

02-Sep-2021 09:52 PM

बहुत ही खूबसूरत भाग

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Swati chourasia

01-Sep-2021 08:53 PM

Very beautiful

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