लेखनी कहानी -13-Nov-2022
जमीं पर बैठकर क्या आसमान देखता है
पंख फैला के जमाना उड़ान देखता है।
काम कुछ ऐसे कर कि पहचान बन जाये
यहाँ अब कौन भला खानदान देखता है।
ये सारा विश्व है तेरा अपना घर ही तो
क्यों इतनी हसरत से गैरों के मकान देखता है।
अपनी रूह को उम्मीदों के नए पंख लगा
जब ये जमाना तुझे लहूलुहान देखता है।
Gunjan Kamal
16-Nov-2022 07:34 PM
बहुत ही सुन्दर
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आँचल सोनी 'हिया'
15-Nov-2022 12:36 AM
Nice 👌🌺
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Sachin dev
14-Nov-2022 03:54 PM
Well done ✅
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