Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय सहयात्री

सहयात्री

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मेरा तो पथ अगोचर है ।चल अकेला चले अकेला तेरा पीछा  कौन करेगा भाई जी भर का रेला है ।
मोब मेरा सच्चा सहयात्री , पथ पर मिले अद्धत साथी मेरे संग संग चले ।
मंजिल मेरी दूर रही है ,इसका न भान मै कर सकी ,साथी मेरे हर पल के साथी 
कभी अलसाई सी डगर पर भौरा ने सरगम सुनाई ,मन बैचेन रहा फूलों की खुशबू ने अपनी सुगंधी फैलाई । पहर पहर मुसकाई ।मन की कलियां खिलखिलाई ।मेरे सारी उम्र के जीवन सहयात्री यही रहे ।जीवन जीने की राह दिखाई । पवन सरसराई ,सरसों लहलाई, चहुं दिशा महकाई।
ये मेरे जीवन के सफर के सच्चे सह

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11 Comments

Sandesh kumar 'Sarthak'

15-Nov-2022 04:05 PM

लाजवाब

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Palak chopra

15-Nov-2022 01:54 PM

Umda 👏

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Nice 👌🌺

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