Shirley Roy

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कवि डाकू

*कवि डाकू *

                    एक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया .
डकैती करने वो बैंक गया और जाके सबके ऊपर पिस्तौल तान दिया और बोला


“अर्ज़ किया है …
तकदीर में जो हैं , वोही मिलेगा
तकदीर में जो है, वोही मिलेगा
..
..
हैंड्स उप ! अपनी जगह से कोई नहीं हिलेगा !!”


केशियर के पास जाके कहता है -
“अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
..
..
जो कुछ भी तुम्हारे पास है जल्दी से इस बैग में डाल दो !!


जब वो बैंक लूट चूका था तो जाते जाते बोल के जाता है -
“भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
..
..
मैं गोली मार दूंगा जो किसी ने पीछा किया मेरा !! “

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1 Comments

Khushbu

14-Nov-2022 06:12 PM

👌

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