Sunita gupta

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कमाल करती हो तुम

कमाल करती हो तुम 

बिना सामने आए नज़रों के सामने से गुज़र रखती हो
बात नहीं करती हो तो क्या हुआ सब ख़बर रखती हो
सवाल मुझे करने हैं मगर मुझसे सवाल करती हो तुम
भई कमाल करती हो तुम.....

मेरे ख्यालों में भी जब आती हो तो बोलने नहीं देती हो
मेरे शब्द ले लेती हो मुझे ज़ुबान खोलने नहीं देती हो आखिर में चूम लेती हो मुझे ऐसी मजाल करती हो तुम
भई कमाल करती हो तुम....

तुम्हें बताऊँ कि किस कदर सोचने लगता हूँ तुम्हें 
कभी कभी तो अपने ही शहर में खोजने लगता हूँ तुम्हें
बिछड़ गयी हो सालों पहले मगर अब भी ऐसा हाल करती हो तुम
भई कमाल करती हो तुम....

मैं इस तरह से दिन और इसी तरह रात कर लेता हूँ
मैं तुम्हारी तरफ से भी ख़ुद से बात कर लेता हूँ
चलो, ख्यालों में ही रह गयी हो मगर वहाँ मेरा ख़्याल करती हो तुम
भई कमाल करती हो तुम.....

कभी कभी सोचता हूँ क्या होता गर हाथों में हाथ होते
कैसी ज़िन्दगी होती अगर हम तुम वाकई में साथ होते
कभी कभी मेरे साथ इस बात का मलाल करती हो तुम
एक बात कहूँ.....भई कमाल करती हो तुम

इन दूरियों को यूँ ही निढाल करती रहना 
ज़िन्दगी है जब तक कमाल करती रहना....

🌹❤️ शुभ वंदन प्रभात ❤️🌹
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर 

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4 Comments

Teena yadav

21-Nov-2022 08:38 PM

OSm

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Sachin dev

21-Nov-2022 04:43 PM

Nice 👌

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बेहतरीन👌🌸

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