कविता
सुनो आसमा,
सुनो आसमा से दूर चलो ना,
ज़मीन को कुछ आजाद करो ना,
बेफिक्री सी कुछ आदतों को,
चलो फिर से लिखो ना,
सुनो आसमा,
आसमा की ओर बढ़ो ना,
जमीन पर कुछ लकीरें,
ओर लकीरों में मुझे लिखो ना,
तुम शब्द,
शब्द में कविता,
लेखकों की कई मनसा,
कुछ विश्वास, कुछ खुशी,,
Shashank मणि Yadava 'सनम'
16-Nov-2022 07:39 AM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ
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Ayshu
16-Nov-2022 06:34 AM
Shaandar
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आँचल सोनी 'हिया'
16-Nov-2022 12:04 AM
Very nice 👌🌺🌸
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