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लेखनी प्रतियोगिता -16-Nov-2022 तिल का पहाड़ बनाना


            शीर्षक :- तिल का ताड़ बनाना
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            "सविता इस झगडे़ को यहीं समाप्त करदो। बात को जितना बढा़ओगी यह उतनी ही बढ़ती जायेगी।  अतः मेरी बात मानलो और शान्त होजाओ।" अमन ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।

        "परन्तु सविता पर तो भूत सवखर था वह कहाँ सुनने वाली थी। वह क्रोध से  हाँपती हुई बोली," तुम हमेशा अपने मम्मी पापा की ही फेवर लेते हो । बैसे भी मेरा यहाँ कौन है जो मेरे दुःख को सुनेगा। अब मै इनके साथ इस घर में नहीं रह सकती हूँ इन दोनों ने मेरा जीना हराम कर दिया है मै अब रोटी तभी खाऊँगी जब आप इनको यहाँ से दूर करदोगे।"

      अमन बहुत परेशान होगया  अब वह करे तो क्या  करे उसकी समझ में कुछ नही आरहा था क्यौकि सविता ने छोटी सी बात को पहाड़ बनाकर खडा़ कर दिया था।

       अमन  कुछ भी नहीं बोल पारहा था वह दोराहे पर खडा़ था । अमन के पापा ने उन दोनौ की बात सुनली थी अतः उन्हौने बृद्धाश्रम जाने का फैसला कर लिया था। और वह अपने व पत्नी के कपडे़ एक बैग में डालने लगे। और बेटे को समझाया कि कोई बात नही हम दोनौ बृद्धाश्रम चले जाते है वहिँ मेरे जानकार है वहाँ मुझे कोई परेशानी नही होगी।  फिर मेरी इतनी पैन्शन तो आती है कि हम दोनौ किसी के आश्रित नही रहेगे।

       अब अमन की समझ में भी आगया कि रोज रोज के झगडौ़ से तो यही ठीक रहेगा।

         जब रामनाथ अपना बैग लगा रहे थे उसी समय उनका पांच वर्ष का पोता पूछने लगा  ,"दादू आप कहाँ जारहे हो? "

  अब वह इस बच्चे को क्या जबाब देते उन्हौने झूँठ बोला कि वह हरिद्वार गंगा स्नान करने जारहे है।जब पोते ने पूछा," दादू मेरे लिए वहाँ से खिलौना लेकर आना। "

      रामनाथ की आँखौ मे आँसू आगये और वह सोचने लगे कि इस बच्चे को कैसे समझायें कि वह अब यहाँ नहीं आयेगे।

     अमन उन दोनौ को अपनी गाडी़ मे बिठाकर जब बृद्धाश्रम पहुचा तब  वहाँ के मैनेजर राघव ने रामनाथ को गले लगाकर उनका स्वागत  किया।

  जब रामनाथ ने पूछा," रघू मेरा कमरा कौनसा है वह साफ करवा दिया ?"

      "हाँ रामू वह तो उसी समय करवादिया था जब तेरा फौन आया था।" 

     उन दोनौ को इस तरह बाते करते देखकर अमन को आश्चर्य  हुआ और वह मैनेजर को अलग लेजाकर पूछने लगा " अंकल आप पापा को कैसे  जानते हो ? "

        " बेटा मै तुम्हारे पापा को  तबसे जानता हूँ जब वह पहलीबार एक बच्चा गोद लेने आये थे तब यह अनाथालय था। क्यौकि तब लोग मा बाप को बृद्धाश्रम मे नहीं भेजते थे।"

       " वह बच्चा गोद लेने क्यौ आये थे? वह वह बच्चा किसके लिए गोद लेने आये थे।?"

      " अपने लिए क्यौकि उनकी पत्नी एक हादसे का शिकार होगयी थी जिससे वह माँ नही बन सकती थी।  वह बच्चा तुम हो"

  यह सुनकर अमन के पैरौ के तले की जमीन खिसकती नजर आई। और अमन ने नीचे उतारा हुआ सामान डिग्गी में रख लिया और उन दोनौ को जिद करके घर लेआया। रामनाथ ने बहुत समझाया परन्तु वह नही माना।

 जब घर पहुँचा और जब सविता ने उन दोनौ को गाडी़ से उतरते देखा तब वह पूछने लगी  क्या हुआ जो इनको बापिह ले आये।

  तब वह बोला। ," तुमको रहना है तो रहो नहीं तो जहाँ अच्छा लगे वहाँ चली जाओ यह कही नहीं जायेंगे।"

   सविता बोली," अमन अब तुम तिल का पहाड़ बनारहे हो। मै यहाँ एक पल भी नही रह सकती।"

    अमन बोला," तो देर किस बात की है जल्दी से जाओ। "

  अब सविता की आँखें खुल गयी कि अब वह मायके कैसे जासकती है वहाँ उसकी अपनी भाभी से एक पल नहीं बनती है।

     अतः वह चुप चाप  शान्त होकर बैठ गयी फिर अमन ने उसे समझाया कि जो मुझे अनाथालय से लिकर पाल सकते है और आजतक एक भी बार मुझे यह महसूस नही होने दिया कि मै उनका सगा बेटा नही हूँ और मै उनको बृद्धाश्रम में कैसे छोड़ दूँ।

        अब सविता  की समझ में आगया  और वह भी अब अपने सास ससुर की सेवा  करने लगी। उसने यह बात मानली कि उसने ही तिल जैसी बात को पहाड़ जैसा बनाकर खडा़ कर दिया था।


आज की दैनिक   प्रतियोगिता हेतु रचना

नरेश शर्मा " पचौरी "

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5 Comments

Rafael Swann

17-Nov-2022 01:00 PM

Adwitiya 🌹

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Punam verma

17-Nov-2022 08:38 AM

Nice

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Abhinav ji

17-Nov-2022 08:10 AM

Very nice sir

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