Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय लगी आग दिल मे

लगी आग दिलमें,बुझाऊं कहां मैं।
घुटन हो रही अब,सुनाऊं कहां मैं। 

तुम्हारी मेरी जिन्दगानी के नगमें,
बता दो कन्हाई, बताऊं  कहां मैं। 

नही चैन अब  याद  में आज तेरी,
हृदय की ये पीड़ा,मिटाऊं कहां मैं। 

तुम्हारा हृदय आज पत्थर हुआ है,
इसे अपने दिलमें सजाऊं कहां मैं। 

तुम्हारे बिना मौतभी होगी सस्ती,
बताओ भला मौत पाऊं कहां मैं। 

बनी तेरी सरिता बहाओ कन्हैया,
तुम्हें छोड़कर अब जाऊं कहां मैं। 

सुनीता गुप्ता'सरिता'कानपुर

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8 Comments

Sushi saxena

19-Nov-2022 02:21 PM

Nice 👍🏼

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Nice 👌🌺

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बहुत खूब

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