मंहगाई
*बात वो नहीं जिसके चर्चे उङ रहे हैं..*
*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं..*
पहले नानी के घर मनती थी छुट्टियां
आम-अमरूद खाकर मनती थी छुट्टियां
अब तो गोआ मनाली के ट्रिप लग रहे हैं
*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...*
सरे राह रोज यूं ही नही मिलते थे लोग
पहले मीलो मील पैदल चलते थे लोग
आज दो कदम जाने को कैब बुक कर रहे हैं
*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...*
घर में बने खाने पर स्वाद लेकर इतराते थे हम
नमक संग रोटी भी खुशी-खुशी खाते थे हम
अब तो हर वीकेंड सब होटल में दिख रहे हैं
*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...*
दो जोङी कपङे में पूरा साल निकलता था
बस दिवाली के दिन नया जोङा सिलता था
अब तो शौक-फैशन के लिए शापिंग कर रहे हैं
*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...*
एक टीवी से पूरा मोहल्ला चलता था
एक दूरदर्शन से पूरा घर बहलता था
अब तो चैनलो और वेब के जाल में फंस गए हैं
*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...*
पैंतीस पैसे के खत का इंतजार रहता था
और खत के अंदर हरेले का त्योहार रहता था
अब तो बस सब के हाथो में मोबाइल दिख रहे हैं
*महंगाई नही साहब खर्चे बढ गए हैं...*
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Gunjan Kamal
22-Nov-2022 11:22 PM
बहुत ही सुन्दर
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Sushi saxena
19-Nov-2022 02:21 PM
Nice 👍🏼
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आँचल सोनी 'हिया'
18-Nov-2022 12:10 AM
शानदार प्रस्तुति 💐🌺🌸
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