दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय चलो सपनों के देश मे
चलो सपनों के देस में
चलो सपनों के देस में
जहां जाति धर्म की कोई सीमाएं न हो
शरीर और उम्र का कोई बंधन न हो
पद और मर्यादा की कोई सीमा न हो
चलो सपनों के देस में
जहां सब अंजान होते हुए भी अपने हों
जहांप्यार की नदियां हों विश्वास की चट्टानें हों
भावनाओं का वेग हो प्रेम की झीलें और झरनें हों
चलो सपनों के देस में
जहां मन से मन के रिश्तों का जहान हो
जहां फूल जैसे मन लहरों जैसी उमंग वाले लोग मेरेसाथ हों
जहां हमें एक दूसरे को समझने का वक्त मिल
चलो सपनों के देस में
जहां पत्थर भी बोलते हों
जहां फूल भी मुस्कराते हों
जहां कलियां भी खिलखिलाती हों
जहां भौरें भी गुनगुनाते हों
चलो सपनों के देस में
जहां समय भी हमारे साथ हो
जहां आंखें बोलें दिल सुनें
जहां कोई भी मजबूरियां न हों
जहां का दुःख भी मीठा लगे
चलो ऐसे सपनों के देस में
जहां हमारे बीच की सभी दूरियां मिट जाएं
जहां हम दूसरे के दुखों को महसूस कर सकें
जहां ऐसा कोई पर्दा न हो
जिससे हम न दिखें हमारी इच्छा न दिखे
हमारा मन न दिखे हमारी भावनाएं न दिखे
चलो सपनों के देस में
जहां हम अपनी प्रकृति के नजदीक हों
जहां हम अपनी सहजता के नजदीक हों
जहां हम अपनी सरलता के नजदीक हों
जहां हमारी मासूमियत और भोलापन हो
चलो ऐसे सपनों। के देस में
जहां हम किसी भी तरह मजबूर न हों
जहां सिर्फ और सिर्फ हम अपने लिए ही जिएं
जहां हमारे मन की इच्छाएं पूरी हो सकें
जहां हम प्रेम के सागर में हमेशा के लिए राम जाय
आओ चलें ऐसे सपनों के देस में
जहांचंद से होकर आती मदमस्त हवाएं
मुझे छूकर कुछकहना चाहती हैं
चलो उसी हसी जहां में
जहां चांद मेरा दोस्त हो और तारे मेरे साथी
जहां का राजकुमार मुझे सफेद घोड़े में बैठाकर
मुझे आसमान की सैर कराए
और फिर मैं उस हसीन सपनों की दुनिया से लौट कर
इस तन्हाई की घुटन भरी दुनिया में कभी न आऊं
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Ayshu
18-Nov-2022 04:28 PM
Bahut khub
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Sachin dev
18-Nov-2022 04:26 PM
Well done ✅
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अदिति झा
18-Nov-2022 12:30 PM
Nice 👍🏼
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