Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय तुम्हे दर्द कहां से दिखाऊं कन्हैया

मिला दर्द मुझको दिखाऊं कहां मैं।
विरह वेदना दिल,  सुनाऊं कहां मैं। 

अंधेरे  तुम्हें  रास  आते  नही  अब,
चमक चांदनी कि दिखाऊं कहां मै। 

महकते नही बाग तुम बिन हमारे,
सुगंधित पवन आज पाऊं कहा मैं। 

मेरी ज़िन्दगी की हकीकत कहानी,
सुनो श्याम सुन्दर बताऊं कहां मैं। 

संभालो मेरी ,जिन्दगानी  कन्हैया,
नही दर्द छिपता ,छिपाऊं कहां मैं। 

नही हाथ थामे तो बहजाए'सरिता',
नही मुझसे कहना निभाऊं कहां मै। 

सुनीता गुप्ता'सरिता'कानपुर

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9 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Wahhhh Wahhh

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Rajeev kumar jha

19-Nov-2022 11:37 PM

बहुत खूब

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