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लेखनी कविता -19-Nov-2022

शीर्षक - चेहरा

विधा - कविता
प्रीतियोगिता


वो हसीन चेहरा देखता हूं
जो मेरे दिल के पास हैं
जिसको शामों  सहर ढूंढता हूं में 

आंखों में उसकी तस्वीर लिऐ
खुद को बे क़रार किए हुऐ
गली शहर में भटकता फिरता हूं में 

दिलबर में तुम्हारी याद में 
देता हूं खुदको कितने दिलासे 
इकबार बता दे यहां हूं में 

ये दिल की"ज़ुबैर"अजीब रस्मे
खिलाती हैं मुझको वो कसमें
कहती हैं पेहम भला हूं में 


जुबेर खान 




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9 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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अदिति झा

20-Nov-2022 09:03 PM

शानदार

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Raziya bano

20-Nov-2022 11:13 AM

Nice

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