Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -20-Nov-2022 साहब बहादुर

 यूपी के शहर इलाहाबाद के पास एक बहुत ही सुंदर गांव था। यह गांव अपने आमो की फसल के लिए मशहूर था। इस गांव के प्रधान सरवन कुमार जी, एक सज्जन पुरुष थे। उनके गांव के लोग और आसपास के गांव के लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। और उनकी सलाह और हुकुम को मानते थे। और सब उन्हें प्यार से बड़े बाबू कहते थे।


 आसपास के इलाके में बड़े बाबू का हुकुम चलता था, लेकिन घर में उनके ऊपर उनकी विधवा मां का हुकुम चलता था। उनकी विधवा मां बहुत ही समझदार सुलझी हुई और गुणवान महिला थी।

 बड़े बाबू की पत्नी घरेलू सीधी साधी अनपढ़ महिला थी। उनके ऊपर परिवार के सभी सदस्यों का हुकुम चलता था। 

जगह-जगह धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना करने के बाद उनके घर एक पुत्री का जन्म हुआ था।  जिसका नाम उन्होंने ज्योति रखा था। ज्योति इकलौती पुत्री थी। इसलिए ज्यादा लाड प्यार की वजह से वह जिद्दी हो गई थी। ज्योति की दादी को वैसे तो जानवरों से प्यार था, लेकिन उन्हें कुत्ते पसंद नहीं थे। 

 एक दिन ज्योति बहुत ही सुंदर से  कुत्ते के पिल्ले को  पालने के लिए अपनी हवेली में लेआती है। और अपनी दादी के मना करने के बावजूद उसको पालने की जिद पर अड़ जाती है।

 अपनी मां और बेटी को खुश करने के लिए बड़े बाबू  पिल्ले को अपने आम के बाग में  ज्योति कोपालने की इजाजत दे देते हैं। और कहते हैं की "ज्योति किसी भी समय जाकर  पिल्ले की देखभाल कर सकती है।" उनके इस फैसले से उनकी मां भी प्रसन्न हो जाती है। और बेटी ज्योति भी।

  ज्योति  पिल्ले का नाम  बहादुर रखती है।एक-दो वर्षो के अंदर ही जवान होकर बहादुर एक शेर चीते जैसा कुत्ता बन जाता है। वह हट्टा कट्टा शक्तिशाली निडर  तो था ही लेकिन वह साथ ही बहुत चतुर और बुद्धिमान भी था।

 गांव के सब लोग  उसे बहुत प्यार करते थे। क्योंकि उसके कारण गांव में चोरों का आना बंद हो गया था। और जंगली खूंखार जानवर भी गांव में घुसने से डरते थे। 

बहादुर इतना ताकतवर इसलिए भी था, क्योंकि ज्योति के साथ-साथ गांव के लोग भी उसे देसी घी दूध आदि खाने की चीजें देते रहते थे। ज्योति भी बहादुर का पूरा ख्याल रखती थी। और उसको रोज ताकतवर खाना खिलाती थी। इसके अलावा बहादुर एक शिकारी कुत्ता भी था। वह शिकार खेलकर भी अपना पेट भर लेता था। 

बहादुर गांव के लोगों के साथ उनकी गाय भैंस भेड़ बकरियां 
चुगाने जंगल जाता था। जब तक गाय भैंस भेड़  बकरियां खाती रहती थी। वह नदी में नहा कर जंगल में इधर-उधर दौड़ भाग कर के शिकार खेलता रहता था। और गांव वालों के साथ शाम को उनके सब जानवरों को इकट्ठा करके गांव में वापस लाता था। फिर चौपाल पर  गांव के बच्चों बड़े बूढ़ोंऔर ज्योति के साथ बैठकर टीवी देखता था। टीवी के अंदर किसी जंगली जानवर या अन्य कोई दृश्य आता था जो उसे पसंद नहीं आता था, तो वह तेज तेज  भोक्ता था। सिर्फ वह ज्योति के कहने से ही चुप होता था।

 ज्योति जितना हद से ज्यादा प्यार बहादुर को करती थी उतना ही हद से ज्यादा प्यार बहादुर भीज्योति से करता था। उसके सामने हंसी मजाक में भी कोई ज्योति से छेड़खानी नहीं करता था।

 एक दिन बड़े बाबू के आम के बागों में चार पांच चोर  छोटा टेंपो लेकर आमों की चोरी करने घुस आते हैं। बहादुर उनकी हरकतों से उन्हें पहचान कर उन पर हमला कर देता है। बहादुर ताकतवर होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी था। इसलिए सबसे पहले वह टेंपो के ड्राइवर को चीर फाड़ देता है। फिर बाकी चोरों को भी धराशाई कर देता है। इतने में शोर-शराबा सुनकर बड़े बाबू और गांव के लोग आकर चोरों को पकड़ लेते हैं। 

पुलिस से गांव के लोगों और आसपास के गांव के लोगों को पता चलता है कि उन चोरों के सर पर सरकार पुलिस ने इनाम रख रखा था। पुलिस जनता की सिफारिश पर सरकार खुश होकर बहादुर को पुरस्कार देती है। और उसे साहब बहादुर की उपाधि भी देती है। बड़े बाबू की मां बहादुर की बहादुरी से खुश होकर  साहब बहादुर को हवेली में रहने की इजाजत दे देती है। 

उस दिन ज्योति  पूरे गांव में लड्डू बांट बांट कर सबको अपने साहब बहादुर के बचपन से लेकर चोरों को पकड़ने तक के किस्से सुनाती है। ज्योति को अब 24 घंटे साहब बहादुर को अपने साथ रखने की इजाजत मिल जाती है।  वह किसी भी शादी समारोह में शामिल होती तो साहब बहादुर को अपने साथ लेकर जाती साहब बहादुर भी बैंड बाजे पर खूब ठुमक ठुमक कर ठुमके मार मार कर  नाचता था।और शादी विवाह  के स्वादिष्ट खाने का आनंद लेता था।

 ज्योति काबहुत ही बड़े और खानदानी परिवार से शादी का रिश्ता आता है। इसलिए बड़े बाबू उनकी मां बड़ी धूमधाम से ज्योति की शादी कर देते हैं।

 ज्योति की शादी के बाद साहब बहादुर की तो ज्योति के बिना शरीर की शक्ति ही खत्म हो जाती है। उधर ज्योति भी अपनी ससुराल में साहब बहादुर को याद कर करके दुखी रहती है।

 ज्योति के पति और सास के कहने पर  बड़े बाबू बहुत से उपहार  मिठाईयां के साथ साहब बहादुर को ज्योति की ससुराल भेज देते हैं। इतने दिनों बाद एक दूसरे से मिलकर ज्योति और साहब बहादुर खुशी से पागल हो जाते हैं।

 उन्हीं दिनों मे ज्योति के पति की नौकरी बड़े शहर में लग जाती है। शहर में बिल्डिंग की पांचवी मंजिल पर वह किराए पर मकान लेता है। इस बिल्डिंग की पांचवी मंजिल पर ज्योति और साहब बहादुर को अपने गांव के आम के बाग नदी जंगल माता पिता गांव के यार दोस्त गांव के लोगों की बहुत याद आती है।

  एक दिन ज्योति साहब बहादुर के साथ पार्क में घूमने जाती है फिर वह रोज पार्क जाने लगती है। पार्क में एक दिन शाम को कुछ आवारा कुत्ते और पालतू कुत्ते साहब बहादुर पर बहुत भोंकते हैं। साहब बहादुर भी उनको घायल कर देता है।

 पालतू कुत्तों के मालिक साहब बहादुर की शिकायत ज्योति के पति से करते हैं। ज्योति का पति साहब बहादुर और ज्योति के बेइंतेहा प्रेम से दुखी था। उसे पता था, की ज्योति की निगाह में साहब बहादुर की अहमियत उससे ज्यादा है। साहब बहादुर की शिकायत के बाद उसके मन में  साहब बहादुर के लिए नफरत बढ़ने लगती है।

 ज्योति का पति जब भी शादी विवाह बाजार आदि कहीं भी ज्योति के साथ घूमने फिरनेजाता था, तो साहब बहादुर को एक कमरे में बंद करके जाता था। 

साहब  बहादुर एक साधारण कुत्ता नहीं था, वह शेर चीते जैसा था। और उसकी आवाज भी शेर जैसे ही थी। जब वह अकेला दहाड़ता था, तो पड़ोसियों को उसकी भारी आवाज से परेशानी होती थी। 

साहब बहादुर की रोज-रोज की शिकायत और ज्योति और साहब बहादुर के बीच हद से ज्यादा प्यार देखकर ज्योति का पति ज्योति को बिना बताए साहब बहादुर को खाने में हद से ज्यादा नींद की गोलियां देना शुरू कर देता है। और लगातार ज्यादा नींद की गोलियां खाने की वजह से साहब बहादुर का दिमाग कमजोर होने लगता है। और वह  एक दिन पूरी तरह पागल हो जाता है। ज्योति का पति साहब बहादुर को घर से भगा देता है। 

ज्योति साहब बहादुर की ऐसी हालत का जिम्मेदार अपने को मानती है। और वह उदास बीमार रहने लगती है।

 एक दिन ज्योति पार्क में अकेले बैठी हुई थी। उसी समय कुछ औरतें बच्चे आकर ज्योति को बताते हैं कि  पागल साहब बहादुर ने  एक फौजी की पत्नी को काट लिया था। इसलिए उस फौजी ने पागल साहब बहादुर को गोली से मार दिया। इतने में एक दूसरा बच्चा कहता है की "साहब बहादुर इतना हटा कटा था, कि फौजी की बंदूक की एक गोली से नहीं मरा था, तो उस फौजी ने साहब बहादुर को पूरी छह गोलियां मारी तब जाकर साहब बहादुर का दम निकला।"

 पागल  साहब बहादुर की मौत की खबर सुनते ही ज्योति  के दिल की धड़कन तेज हो जाती है। और वह चक्कर खाकर जमीन पर गिर जाती है। और कुछ ही क्षणों में उसकी भी मौत हो जाती है। 

ज्योति और साहब बहादुर की मौत खबर सुनकर ज्योति के  पति बहुत दुख और अफसोस होता है। और वह अपने मन में सोचता है,  इन दोनों का प्यार हद से ज्यादा था या सनकी प्रेम था, लेकिन मेरी नफरत जरूर साहब बहादुर के लिए हद से ज्यादा थी।

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7 Comments

Gunjan Kamal

23-Nov-2022 05:26 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Peehu saini

21-Nov-2022 07:38 PM

Bahut khoob 😊

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Punam verma

21-Nov-2022 08:48 AM

Nice one

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