रक्षक (भाग : 01)
रक्षक भाग : 01
अध्याय - 01
खण्ड - प्रस्तावना
दुनिया मे कई बेहद खूबसूरत चीजे हैं, जैसे ताजमहल एफिल टॉवर, मिस्र के पिरामिड, पर उसमें एक नायाब हीरा है एक नगर, जो भारत मे है, जिसे अभयनगर के नाम से जाना जाता है, इस शहर के बारे में सबको ज्यादा जानकारी नही है, पर ये भारत सरकार के लिए एक अतिमहत्वपूर्ण शहर है।
अभयनगर: -
चार पहाड़ो के बीच बसा अत्याधुनिक परन्तु पुरानी शैली और लिपि का प्रयोग कर बसाया गया एक छोटा सा मनभावन शहर।
जैसे प्रकृति की गोद में नयेपन को भर दिया गया हो, चारो तरफ विशाल ऊँचे पर्वत, जिनके दूर से कोई सोच भी नही सकता कि यहाँ कोई शहर बसा हो सकता है। और रणम्य स्थान पर पूरा शहर आधुनिकता का ताज बना हुआ है, अत्याधुनिक सड़के, लिफ्ट्स, फैंसी डिजाइन्स, सिटी मॉल्स, और सभी अत्याधुनिक आवश्यक वस्तुए सरलता से उप्लब्ध हैं, ऑटोमैटिक स्ट्रीट लाइट, चलती हुई स्ट्रीट लाइन्स सब अपने आप मे अनोखे हैं। सब मिलकर प्रकृति के गोदी में आधुनिकता के मनभावन रूप को निखारता है। जो नए युग मे पुरातनता की छाप छोड़ता है, यहां की खूबसूरत दीवारें प्राचीनकाल की बनाई हुई प्रतीत होती हैं, पर हर सुख सुविधा अत्याधुनिक है, फिर भी यहां पर बहुत कम लोग रहते हैं क्योंकि कोई भी ऐसी जगह पर नही रहना चाहता था, जो दुनिया से कटा हुआ हो। इसलिये भारत सरकार ने वहां केवल ऐसे लोगो को रखा जिनका सरकारी हितों में मत्वपूर्ण योगदान हो और देश मे उनका ऊंचा नाम हो, ताकि लोगो की उस जगह के प्रति विचारधारा बदल सके।
ऐसे ही एक परिवार का सदस्य था राज, राज 22 साल का आकर्षक और हुष्ट पुष्ट नौजवान था। वो अपनी छोटी बहन और अपनी माँ के साथ रहता था, उसके पापा वहां से बाहर रहा करते थे, पर वो किस क्षेत्र में काम करते हैं इसका पता घरवालो को भी नही था, बस इतना पता था कि वो भारतीय आंतरिक सेना में बहुत बड़े पद पर हैं और अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं, जिसके लिए उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है।
शाम को:
चूंकि यहाँ चारो तरफ से ऊँचे पहाड़ हैं जो किसी सुरक्षा दीवार की भांति खड़े हैं, इसलिये यहां सुबह देर से और शाम को सूरज जल्दी डूब जाता है, तभी तो गर्मी का मौसम होने के बाद भी जून के महीने में 05:30PM तक सूरज डूब जाता था। बहुत से लोग अपनी छतों पर आकर सूर्यास्त का आनंद लेते है, और शाम की शीतल हवाँ में स्वयं को और मन को तरोताजा करते हैं।
शाम हो रही थी, सूरज डूबने ही वाला था, राज अपनी छोटी बहन पूजा के साथ छत पर खड़ा होकर सूरज के डूबने के मनोरम दृश्य देख रहा था, सूरज लगभग पूरा ही डूबने वाला था, तभी राज के घर के सामने वाले छत पर एक लड़की आयी, फिर राज को पता नही क्या हुआ वो नीचे चला गया।
पूजा को कुछ भी समझ नही आया, उसने उस लड़की को देखना चाहा पर वो नीचे जाने के लिए सीढ़ियों की ओर मुड़ चुकी थी, वो लड़की अभी यहां दो दिन पहले ही आयी है, जो उनकी पड़ोसी भी है, पूजा को नही पता, क्योंकि उसने कभी उस लड़की पर गौर नही किया पर राज शायद उसे जानता है लेकिन ये तो आज पहली बार ही मिले हैं एक दूसरे से।
शाम होते ही सारे शहर में ऑटोमैटिक लाइट्स ऑन हो जाती थी। पूजा भी नीचे उतरने लगी ।
रात को सबने डिनर किया, पूजा ने राज से उस लड़की के बारे में बात करना चाहा पर नही कर पाई, डिनर के बाद सब अपने अपने कमरे में जाकर सो गए।
रात का तीसरा पहर बीतने वाला था सब सो रहे थे, अचानक एक तेज आवाज राज को जगा देती है। राज जागकर देखता है तो बाहर कोई आवाज नही होती है वो परेशान से होकर फिर लेट जाता है, ऐसा कई दिनों तक होता रहता है अब वो इस आवाज से परेशान हो चुका था, उसकी एक और परेशानी से जूझ रहा था उसे दिन रात अपनी हड्डियों में दर्द की शिकायत रहती थी।
कई दिन ऐसे ही बीत गए, पर राज अपने बुरे सपने और इस दर्द के बारे में किसी को नही बताया।
राज- फिर से वही दर्द, इतना तेज दर्द मानो सारी हड्डियां टूटने वाली हो हम्फ….
“कुछ चीजें हमेशा अलग होती है उनपर यकीन करना मुश्किल है, मैने कई डाक्टरो को दिखाया उनके हिसाब से मै बिल्कुल नॉर्मल हूँ फिर ये दर्द कैसा??”
“और वो आवाज उफ्फ्फ ..
ऐसा लगता है जैसे कोई कह रहा हो जागो तुम्हारा वक़्त आ गया है , घर चलो।”
ये सब सोचते हुए सुबह कब हो गयी राज को पता ही नही चला , उसे सुबह होने में एहसास तब हुआ जब उसकी बहन ने उसे झकझोर कर पूछा
पूजा :- "क्या बात है भाई, आजकल तुम इतने उदास क्यों रहते हो?
क्या बात है? कम से कम मुझे तो बताओ?"
राज:- "अम्म्म . ...कोई बात नही है बहना मै तो बस ऐसे ही…."
“झूठ! मुझसे झूठ” - पूजा उसकी बात काटते हुए बोली।
राज - “मुझे खुद ही नही पता बहना….. "
पूजा - "मैं सब जानती हूं, नही बताना चाहते तो तो मत बताओ।"
राज- (ये कुछ और ही समझ रही है, मैं किसी को परेशान नही करना चाहता ।)
“ये बात मम्मी- पापा से मत कहना ।”
पूजा- "क्यों? डर लग रहा है मम्मी से, मैं तो बताऊँगी।"
राज- "प्लीज् सिस्टा.., मेरी प्यारी बहना...."
पूजा- ठीक है, ठीक है, अब मस्का मत लगाओ,
नही बताऊँगी पर एक शर्त है,
राज- क्या??
पूजा - तुम खुश रहा करोगे, ऐसे उदास बिल्कुल भी अच्छे नही लगते, और मेरी चॉकलेट मत भूलना ओके!
“ठीक है, जैसी तुम्हारी इच्छा। (भगवान सबको तुम जैसी बहन दे )” राज हाथ जोड़ते हुए मुस्कुराहट के साथ बोला
कुछ देर में चाय - नाश्ता करने के बाद राज अपने घर से पूर्वी पहाड़ी की ओर जाने को निकला, अभी 07 बजने वाले थे। वो सूरज को करीब से उगते हुए देखना चाहता है, वो आसमाँ को छूना चाहता है, पर वहां जाने की सख्त मनाही थी, क्योंकि माना जाता है कि वहां प्राचीन आदिवासियों के कबीले हैं, जो विभिन्न प्रकार के जादू और टोटके भी जानते है। परन्तु राज ने आज मन बना ही लिया है, वो वहां जाने के जाने के लिए निकला, और पहाड़ी पर तेज़ी से चढ़ने लगा, पहाड़ उसके घर से करीब 2 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर था इसलिए घर से स्केटिंग करके आते हुए वो थक गया इसलिये अपने स्केट्स निकाल कर वही एक पेड़ के ऊपर रख देता है और फिर दोगुनी तेज़ी से चढ़ने लगा, थोड़ी ही देर में वो पहाड़ी की चोटी पर पहुँच गया, वहां की जमीन समतल और पूर्व की ओर हल्का ढलान लिए थी, वो कुछ देर ठहरा, दम भर लेने के बाद वो फिर पूर्व दिशा में बढ़ने लगा, उसके नीचे तरफ कुछ आदिवासी जंगल मे लकड़ियां उठा रहे थे और कुछ बातें कर करके हंस रहे थे, राज अपने मन मे सोचा कि लोग इनसे डरते हैं ये कितने भोले और मासूम लोग हैं। राज उन्हें बड़ी मासूमियत से देखता रहता है, थोड़ी दूर आगे हिरन के बच्चे और हिरनी साथ मे खेल रहे थे, राज उन्हें देखने मे मग्न हो गया और आगे बढ़ता गया, वहाँ उसे प्यारे खरगोशो की एक जोड़ी दिखी, न जाने क्यों इंसान अपने स्वार्थ के लिए इनका घर उजाड़ रहा है, राज के मन मे कई ख्याल आये, गर्मी के मौसम में भी सुबह पहाड़ पर हवा में काफी शीतलता थी, तभी वहाँ से चिड़ियों का एक झुंड कलरव करता हुआ उड़ा, राज उन्हें बड़े प्यार से देखने लगा, प्रकृति का अद्भुत नजारा देख वो बहुत ज्यादा खुश था। सामने एक चट्टान की सीधी दीवार थी, राज का उसपर चढ़ने के मन हुआ, बहुत मशक्कत के बाद आखिरकार वो उस चट्टान पर चढ़ ही गया जहां से पूरा पहाड़ समतल नज़र आता था, उतर और दक्षिण की दिशा में हल्का ढलान था, वहां भी कबीले के बहुत से लोग थे जो लकड़ी बीनने जैसे कई काम कर रहे थे, राज प्रकृति की अद्भुत घटा में बैठकर सूरज को उगता हुआ देखने लगा, हल्की रौशनी में भी बहुत जलन थी, फिर वो अपनी थकान मिटाने के लिए वही चट्टान पर लेट गया और प्रकृति के इस अदभुत नज़ारे को वो देखने लगा, जिसके पास होकर भी वो बहुत दूर है, पता नही कह यहाँ आना निषेध है। प्रकृति की अद्भुत छटाओं को निहारने के बाद वो कुछ और दूर गया होगा कि उसे आसमान में एक उड़नतश्तरी (स्पेसक्राफ्ट) दिखाई दिया, जो धीरे धीरे धरती पर उतर रहा था ।
यान में-
उस यान में चार लोग उपस्थित थे, चारो वेशभूषा से साधारण तो नही लग रहे थे परन्तु उनके मुख पर चिंता की रेखाएं खींची हुई थी। वो बहुत ज्यादा थके हुए लग रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे पूरे ब्रह्मांड की सैर करके आएं हो, पर उस यान को बनाने वाली जैसी उन्नत टेक्नोलॉजी हमारा विज्ञान आज तक विकसित नही कर पाया, ये यान अपने आप में बहुत खास है। चारों किसी बड़ी समस्या में उलझे हुए से प्रतीत हो रहे है, ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, जैसे वे किसी गम्भीर विषय पर आपस में कुछ बाते कर रहे हो।
पहला:- "अब हम उसे कहा कहा ढूंढे...?"
दूसरा:- "हां यार , हमने इस आकाशगंगा की सारी तलाशी ले ली है हर जगह ढूंढ चुके है, न जाने कहा है वो।"
तीसरा :- "हाँ, अब तो बस यही धरती ही बची है, अगर वो यह भी नही मिला तो…. "
चौथा:- "तुम सब सही कह रहे हो, अब वही हमारी और हमारे लोगो की आखिरी उम्मीद है, हम उसे अपनी सारी जान लगाकर ढूढेंगे।"
पहला:- "वैसे हमारा विज्ञान इस आकाशगंगा से बहुत आगे है फिर भी हम उसे नही ढूंढ पा रहे रहे है जैक।"
दूसरा जिसका नाम जैक था बोला :- "हम उसे ढूढेंगे जार्ज ! हम four J ( जार्ज, जैक , जीवन, जय ) अपने प्लेनेट के सबसे अच्छे अनुभवी खोजी और लड़ाकू योद्धा है।"
जीवन:- "हम उसे कहा ढूंढे?"
जय :- "महान वैनाडॉ के अनुमान से वो इसी आकाशगंगा में कही है, और वो किसी न किसी रूप में जीवित भी है, उनका अनुमान कभी गलत नही होता है।"
जार्ज :- "हमने तो इस आकाशगंगा के एक एक पिंड पर तलाश लिया है , इसका मतलब अगर वो कही इसी आकाशगंगा में है, तो उसे इसी पृथ्वी पर होना चाहिए
और हमने ये पृथ्वी भी लगभग पूरी छान मार ली है।"
जैक :- "अगर वो यहाँ है भी तो उसे कैसे ढूंढेंगे?"
जीवन :- "एक आईडिया है मेरे पास!"
"क्या है जल्दी बताओ" तीनो बोले
"कोई चाहे वो कैसा भी हो, कोई भी हो, चाहे वो खुद को भूल गया हो मगर वो अपनी भावनाओं , जज्बातो को छिपा नही सकता" जीवन मुस्काते हुए बोला
"बेकार आईडिया है, बहुत ही बेकार आईडिया है!" - इंजन की ओर से आवाज आई
"ओह्ह यूनिक ! हम तो तुम्हें भूल ही गये थे।"
यूनिक एक विशेष रोबोटिक सुपरकंप्यूटरयुक्त यान था, जिसके अंदर लगभग लगभग सारे अनन्त ब्रह्मांड की जानकारियां उपलब्ध थी, परन्तु किसी वजह से वह भी उसको नही खोज पा रहा था जिसे खोजने के लिए वो कई आकाशगंगाओ में भटक रहे थे।
(यूनिक के बारे में आपको विस्तार से जानकारी मिलेगी।)
"बेकार है पर क्यों??" - जीवन ने झुंझलाते हुए पूछा
यूनिक- "क्योंकि इस प्लेनेट पर सारे लोग भावुक और जज्बाती है।"
जय - "तो फिर तुम्ही कोई सोलुशन दो।"
"एक आईडिया है " -:यूनिक बोला
"क्या??" - जय बोला
यूनिक :-- "जीवन का ही आईडिया है"
“देखो मैंने बोला था न!”- जीवन विजयी मुस्कान लिए बोला।
यूनिक- "मैने विश्लेषण करके देखा , यहा के लोग खतरों से डरते है, सिर्फ कुछ ही लोग खतरों के सामना करने आते है, और अगर वो यह है तो जरूर आएगा और मेरा बीज़र DNA सेंसर उसे मैच कर बता देगा।"
जीवन - "तुम्हारे कहने का मतलब हम यहां कुछ असम्भावी घटनाएं घटित करें और हर जगह जाकर देखें कि कौन भावुक होकर लड़ाई कर रहा है, कितना बकवास है ये सब!"
"अगर इससे हमें वो मिल भी गया तो क्या पता हमे अपना दुश्मन समझकर हमसे ही लड़ गया तो?"
"अगर वो नही भी लड़ा तो हमारे बारे में वो जान जाएगा जिससे हम बचने के लिए हम उसे ढूंढ रहे हैं, फिर हम उसे कैसे ढूंढेंगे!"
यूनिक - "बस यही सुनना था तुमसे! मैंने पहले ही प्लान कर लिया था, जब आधी पृथ्वी पर ढ़ंढने के बाद वो नही मिला तो मैंने चारो तरफ अपने बी ड्रोन्स फ्लाई फैला दिए, जिनमे उसके ज़िनोम का अंश डाला गया था जिससे वो उसे ट्रेस कर सके और मुझे सिग्नल भेज सके । मुझे यहां उसके होने के तीव्र सिग्नल्स मिल रहे हैं इसलिए मैं यहां तुम्हे लेकर आया हूँ,
मेरे अंदर फीड गैजेट्स इस सारी पृथ्वी में घूमकर उसे सेंस करने के बाद के सिग्नल भेजा है।"
जैक - "वाह! वैसे भी हमे तुम्हारे रहते दिमाग लगाने की कोई जरूरत नही है, बहुत अच्छा काम किया है यूनिक!"
जार्ज :- "ठीक है, अब नीचे उतारो, हमारे पास ज्यादा वक्त नही है।"
यान जो अब तक धरती से 100 km की ऊँचाई पर गोल गोल चक्कर काट रहा था, मगर वो अदृश्य था वो किसी को दिख नही रहा था, न ही उसकी कोई आवाज बाहर आ रही थी मगर न जाने कैसे राज उसे देख पा रहा था, धीरे धीरे नीचे उतरने लगी।
राज ने देखा वह उड़नतश्तरी एक जगह पर उतर रही है तो वो उस ओर भागा, शायद करीब से देखने के लिए
वह उसके करीब ही पहुचने वाला था, कि अगले ही क्षण यान सबको दिखने लगा, वहां के कबीलेवासियों ने ऐसी चीज कभी नही देखे थे वो उसके पास आकर देखने का ख्याल करने लगे पर जैसे ही लाइट्स बन्द हुई, सब उस यान को देखकर डर गए, सब नीचे उत्तर दिशा की घाटियों में उतरने लगे, चूँकि जगह वीरानी थी इसलिये वह पर ज्यादा लोग नही थे।
तभी उस यान के दरवाजे खुले, उसमे से चारो लोग उतरे।
जैक:- "अरे यहा के लोग भी हम जैसे ही हैं।"
यूनिक :- "ओ सॉरी...! ये तो मैं बताना ही भूल गया।
पूरी पृथ्वी घूम लिए तुमको पृथ्वीवासी अभी दिखे?"
तब तक राज उस यान के बिल्कुल करीब पहुच गया था। उसके मन मे हल्का सा डर पैदा होने लगा था, वो यान की सतह को छूता है तभी अचानक से उसे लगता है जैसे उसके दिमाग को कोई और नियंत्रित करना चाहता हो।
"कौन हो तुम लोग?" - राज डरते डरते कंपकपाती आवाज में जोर से बोला
4J अपने साथ लाये विशेष यंत्रों का उपयोग कर आप पास का अनवशेषण कर रहे थे, उनका ध्यान राज या किसी और पर नही गया था, न ही उन्होंने इसको जरूरी समझा।
"मैंने पूछा कौन हो तुम लोग, और तुम्हारे पास ऐसा यान कैसे है! क्या तुम लोग किसी दुश्मन देश के भेजे हुए हो!"
जीवन- "हमारे पास तम्हारे सवाल का जवाब देने का वक़्त नही है बच्चे, हमे एक बहुत जरुरी काम है।"
राज- "जो मैंने पूछा मुझे उसका जवाब चाहिए अभी!"
जीवन- "कौन है यार ये, किसका है, कोई लेके जाओ।"
राज(धमकाते हुए गुस्से से बोला)- "तुम मुझे कुछ बताये बिना कही नही जा सकते। कौन से देश ने भेजा है तुम्हे और ये कैसी वेशभूषा बनाई हुई है तुम लोगों ने अपनी।"
जीवन- "क्यों बताऊ? तुम यहां के मालिक हो क्या , जो तुम हमसे इस तरह पूछे जा रहे हो।"
राज- "जो समझना है वो समझो , पर तुम इतना जान लो कि तुम मुझे बताए बिना कही नही जा सकते हो।"
जीवन- "उफ्फ इस बच्चे की तो मैं….…."
जीवन कुछ करने ही वाला था कि जय ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया।
जय - "क्यों परेशान हो रहे हो, बेहोशी वाले मिश्रण से बेहोश कर दोऔर चलो, हमारे पास वैसे भी समय बहुत काम है।"
जीवन ने राज पर बेहोश कर देने वाली विशेष मिश्रित किरणों से वार किया , जिससे राज उछलकर बच गया, उसने कई वार किए जिनसे राज उछल कूदकर बड़ी फुर्ती के साथ बचता गया
जीवन को बहुत जल्दी गुस्सा आता है, इसलिए वो बीज़र गन को निकाल कर बी रे फायर करने लगता है, राज एक मार्शल आर्टिस्ट था वह एक लेज़र से सरलता से बच जा रहा था।
राज अपने चचेरे भाई शिवा से मार्शल आर्ट सीख रहा था, पर अब वो अमेरिका चला गया है, फिर भी लैपटॉप की सहायता से ऑनलाइन मार्शल आर्ट और कुछ बहुत ही पुराने और नए कलाओं का मिश्रण जो खुद शिवा ने बनाया है, राज को सिखाता है।
राज (स्वयं से) 'अगर शिवा से ये नही सीखा होता तो मेरा क्या होता.! भला हो उसका जो मुझे जबर्दस्ती इतने सारे मार्शल आर्ट्स और मिक्स आर्ट सिखाया है।" राज मन ही मन शिवा को धन्यवाद करता है और सारा ध्यान खुद को बचाने में केंद्रित करता है, उनके पहले हमला करने से राज हो यकीन हो गया कि ये अच्छे लोग नही है, और उनका जो भी मक़सद है एक सच्चा देशभक्त नागरिक होने के नाते राज उन्हें सफल नही होने देगा। पर कैसे...?
राज तो उनके सामने 2 मिनट भी नही टिक सकेगा, फिर उन्हें हराना तो सपने में भी मुमकिन नही लग रहा। पर कोई उसके मस्तिष्क पर नियंत्रण कर रहा था, जो उसकी सहायता कर रहा था और इनका विरोध भी करने को कह रहा था ।
तभी जैक भी बीज़र गन लेकर राज पर हमला करने लगा, राज को अब बचना मुश्किल लगने लगा, चूंकि उसकी कोई बड़ी गलती नही थी जिसलिये 4J उसे केवल बेहोश करना चाहते थे, इसलिए वो प्राणघातक हमला नही कर रहे थे।
पर राज को अब ऐसा लगने लगा था जैसे कोई शक्ति उसकी मदद कर रही है, जो उसके दिमाग पर भी नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी।
राज को लगातार हमलों से बचता हुआ, जीवन के गर्दन पर अपने दाएं पैर से उछलकर मारता है, जिससे जीवन नीचे गिर जाता है और नीचे गिरते ही वह समझ गया कि यह कोई मामूली जीव नही है, वह अपने आपको संभालते हुए जोर चिल्लाया- "उफ्फ …..आजतक ऐसा नही हुआ, ये कोई मामूली बच्चा नही है, हो सकता है ये उसका सेवक हो जो हमारे ग्रह को तबाह कर देना चाहता है, सब मिलकर हमला करो।"
चारो मिलकर प्राणघातक हमला करने लगे, पहले से ही राज बहुत मुश्किल से बच रहा था पर अब बचना मुश्किल ही नही नामुमकिन था, 4J के सामने कोई नही टिक सकता था, उन चारों की सम्मलित शक्ति एक होने पर पूरे ग्रह को भी तबाह कर सकती थी ।
अचानक एक बी रे उसे छू ही गयी , मगर राज को कुछ नही हुआ, 4J इस लड़ाई में इतना खो गये थे कि उन्हें यूनिक की बात सुनाई ही नही दी, न ही उन्हें ये याद रहा कि वे क्या करने आये है। राज अपनी कला कौशल का प्रयोग कर उन किरणों से बचते हुए जैक के मुँह पर मारता है, जैक इस वार से अचम्भित हो जाता है क्योंकि किसी साधारण जीव के वारो का 4J पर कोई असर नही हो सकता, 1 मिनट पहले जीवन भी इसको नही झेल पाया था यानी ये, शायद ये उसी का सेवक है, उसने हमें ढूंढ ही लिया, हम शायद सफ़ल न हो पाए, हे ग्रहदेवता मदद करो! जैक अपने मन मे सोचते हुए प्रार्थना करता है।
जार्ज- "हम्फ.. इसपर तो इस बी रेज़ का कोई असर ही नही हो रहा है, कोई बड़ा हमला करो।"
जैक - "चारों बीज़र गन्स को आपस मे मिलाकर सम्म्लित शक्ति का उपयोग करो, ये अवश्य ही उसका भेजा हुआ है।"
चारो ने बीज़र गन को मिलाकर एक विशाल बीज़र कटर का निर्माण कर लिया (बी पावर की खासियत है कि वो किसी भी पदार्थ को किसी भी अवस्था आकृति और आकार में बदल सकती है, बी पावर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी शक्ति को ध्वस्त करने की क्षमता रखती है। बी पावर के बारे में आगे विस्तार से जानकारी दी जाएगी)
उन्होंने बी कटर को राज की तरफ उछाल दिया जो राज का पीछा करते हुए अपने भार को द्विगुणित कर रही थी, तभी अचानक राज का खुद से नियंत्रण हटने लगा और उसके शरीर में कई परिवर्तन होने लगे, उसका रंग रूप पोशाक सब बदलने लगा, उसके अंदर से कोई उसके बाहर छाता जा रहा था। अब उसकी गति और फुर्ती में असामान्य वृद्धि को गयी थी, जिसपर किसी को यकीन करना लगभग असम्भव था। वो तेज़ी से दौड़कर जीवन को एक घुसा मारता है, और अपने पैर को उसके गर्दन में फंसाकर कर नीचे जमीन पर पटक कर घुमा देता है, फिर वो तेज़ी से उछलकर जॉर्ज के पैर के नीचे सरक जाता है और उसके पैरों को खींचकर मुँह के बल गिराकर उसके पीठ पर अपने घुटने से जोरदार वार करता है, उसके अगले ही पल में वो जय को लेकर एक पेड़ के पास होता है और एक जोरदार घूसा जय की छाती पर मारता है, जिससे जिस पेड़ से वो जय को टिकाया होता है वो वही से टूट जाता है, ये सब इतना जल्दी हो रहा था कि कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन अब तक जैक अपने लेज़र बी ब्रेसलेट तैयार कर चुका था, वो दोनों हाथों से राज की ओर जिगजैग फायरिंग करने लगा, पर एक भी रे राज को न छू पाई, अगले ही पल में उसके ब्रेसलेट्स राज के जूतों के नीचे थे, और उसके थोबड़े पर जोरदार घुसा लगाया, उसके वो लगातार घुसे बरसाने के इरादे से उसकी छाती पर घुसेबाजी करने लगा, इससे पहले उसको ज्यादा हानि होती यूनिक का स्पेशल यूनिट फायर फ्लाई बी उसे उड़ाकर वहां से दूर कर देता है, ये सब होने में मात्र 3 से 4 सेकंड लगे होंगे।
अब तक बी कटर बहुत ही विशाल रूप धारण कर चुका था, जो कब से राज के पीछे लगा था पर उसकी गति के आगे मात खा गया, अभी राज को फ्लाई बी नीचे पटककर लेज़र फायर कर रही थी, इसलिये राज की गति शून्य हो गयी और कटर को मौका मिला, वो राज के ऊपर भीषण और विशाल चट्टान का रूप धारण करके गिर गया।
राज उस चट्टान के नीचे दब जाता है, वो चट्टान अब तक किसी पहाड़ी के बराबर की हो चुकी होती है, ऐसा लगता है जैसे पहाड़ के ऊपर दूसरा पहाड़ उगकर खड़ा हो रहा हो। अब इस पहाड़ के नीचे दबकर कोई नही बच सकता, बी पावर ने अपना सारा भार राज के ऊपर ही केंद्रित रखा, उस विशाल पहाड़ से किसी पेड़ पौधे को खास नुकसान नही हुआ। अब इस हाल में ऐसा लगता है कि वो मर गया। कोई भी सामान्य इंसान उस हमले से नही बच सकता था, राज के मुँह से जोरदार घुटी हुई चीख निकली , मानो वो उसकी आखिरी चीख हो।
फिर सब शांत पड़ गया, कुछ देर में लगभग आधा या 1 मिनट में बीज़र की बनी चट्टान जोरदार आवाज के साथ परखच्चे उड़ जाते है, अभी वे लोग उठकर खड़े भी नही हो पाए थे कि…..
उन्हें वो दिखा जो उन्हें चाहिये था, राज का शरीर पूरी तरह परिवर्तित हो चुका था अब उसके शरीर पर एक चमकती हुई हल्की नीली लाल ड्रेस थी, जिसपर पीली पट्टियां लगी हुई थी, पाव में शानदार लम्बे जूते थे, शरीर असामान्य रूप से वृद्धि किया हुआ था, चहेरे पर नीला हरा नकाब था, बाल पहले से काफी लंबे हो चुके थे, राज अपने आप को देखकर हैरान था।
जार्ज- अरे इधर देखो, ये तो वही है, देखो ये तो वही है।
जीवन- सच मे ये तो नायक ही है।
चलो नायक हमे तुम्हारी बहुत जरूरत है।
(अभी तक राज कुछ समझ नही पाया था कि अचानक जैसे उसे कुछ याद आया हो, उसे लगा जैसे उसका अपने मस्तिष्क पर बस आधा ही नियंत्रण है, आधा किसी और के नियंत्रण में, उसने स्वयं को देखा उसके भेषभूषा और संरचना में परिवर्तन हो चुका था, उसके मस्तिष्क के उस भाग को पता था कि वो कौन है क्या है पर शायद उसे भी कुछ स्पष्ट नही था, वो जानना चाहता था कि उसके यहां आने के बाद क्या हुआ, ऐसी क्या मुसीबत आन पड़ी जिससे 4J नही हर सके और उसको ढूंढने की आवश्यकता पड़ गयी, उसे धीरे धीरे सब याद आ रहा था पर वह सब कुछ धुंधला सा था, वह सब कुछ उनके मुँह से जानना चाहता था।)
राज - कौन हूं मैं, मैं ऐसा कैसे हो गया?
तुम हमारे रक्षक हो “लहूपुत्र”, हमारी दुनिया के रक्षक हो तुम।
चलो जल्दी करो, - चारो एक साथ बोले ।
मैं तुम्हारे साथ क्यों चलूं? - राज बोला।
अभी तो तुम सब मेरी जान लेना चाहते थे।
हम तुम्हारी तलाश कर रहे थे रक्षक! बस हम वही कर रहे थे जो हमे करना चाहिए था। - जय बोला।
राज का मस्तिष्क जाने से इनकार करता है पर इस असामान्य बदलाव के बारे में उसे जानना था, क्योंकि कोई भी ऐसे ही तो नही बदल सकता और रक्षक, जैसे सब जानता था और उसे जाना था। वो राज के मस्तिष्क में उसे उनकी बात मानने के निर्देश देता है। चूंकि अब शरीर रक्षक का रूप धारण कर चुका था इसलिए राज के मस्तिष्क को उसकी बात माननी पड़ी, पर रक्षक भी उसके साथ कोई ज्यादती नही करने वाला था, उसे धीरे धीरे सब याद आने लगा, लेकिन अब भी बहुत कुछ स्पष्ट नही था, उसकी आँखों मे अंगारे भरने लगे मगर वो शांत होकर खुद को समझाने लगा क्योंकि वो इस बात को जाहिर नही होने देना चाहता था कि उसे कुछ पता भी है, वो अपने आप को इन सारी बातों से अनजान रहने का आदेश देता है कि समय आने पर उसे सब याद आ जाये और राज के मस्तिष्क के अपना नियंत्रण छोड़कर उनके साथ यान में बैठ जाता है।
यूनिक वापस चलो
... घररर… घररर के मामूली आवाज के साथ यान स्टार्ट हुआ और फिर स्पेस में गायब हो गया.......
कृपया अपना बहुमूल्य मत और मुझे मेरी गलतियों से अवगत कराएं 🙏
अगला भाग शीघ्र ही प्रस्तुत होगा, कृपया अपना प्यार और सहयोग बनाये रखें🙏
Horror lover
20-Dec-2021 12:45 PM
Intresing shuruat...
Reply
Hayati ansari
29-Nov-2021 09:54 AM
Good
Reply
Arman
26-Nov-2021 11:42 PM
Nice
Reply