kanchan singla

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पथिक

पथिक तुम रुकना नहीं
थक जाओ तो ठहरना नहीं
तुम निरंतर चलते जाना
जीवन पथ पर मुड़ते जाना
रख हौंसला सीने में
कठिनाइयों से घबराना नहीं ।।

ठंडी छांव में थोड़ा सुस्ता लेना
फिर आगे बढ़ते जाना
मंजिल कोई दूर नहीं है
रास्ता है कोई शिखर नहीं है
तुम पथिक हो इन राहों के
तुम्हें है बस चलते रहना ।।

मानव जीवन एक लक्ष्य है
कर्म ही उसका साक्ष्य है
धर्म ही उसका रक्षक है
यही राह है, यही मंजिल है
मानवता ही उसकी श्रेष्ठता है
जिसको पाना है तुमको
यही पथिक का कर्तव्य है।।

- कंचन सिंगला
लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2022

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6 Comments

प्रेरित करती हुई कविता

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Haaya meer

23-Nov-2022 05:21 PM

Amazing

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Gunjan Kamal

22-Nov-2022 10:37 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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