पथिक
# दैनिक प्रतियोगिता हेतु
पथिक
किसी पथिक की मंजिल सा बन जाऊ..
बस यही अरमां दिलमे है...
किसी पथिक का सपना बन जाऊ..
बस यही अरमां दिलमे है।
उस पथिक की खोज में, मैं भी पथिक बन जाऊ..
उस पथ पर मिल जाऊ , जिस पथ की वो खोज में है..
पथ वो आखिर अपना है, पथ वो अपना सपना है..
उस पथ के खातिर जिंदगी का हर पल मौज में है।
सोचता हु वो पल कब आयेगा, जब वो पथिक इस पथिक से मिल जायेगा..
कितना सुहाना होगा वो दिन , ऊपर वाला भी उस महफिल को सजाएगा..
कास वो दिन जल्दी आए, इस पथिक से वो पथिक मिल जाए..
हर ओर फूलो की वर्षा होगी, आसमां भी प्यार का गीत गुनगुनाएगा।
विपिन सक्सेना
सीताराम साहू 'निर्मल'
23-Nov-2022 06:57 PM
बहुत खूब
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Haaya meer
23-Nov-2022 05:31 PM
Amazing
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Sachin dev
23-Nov-2022 04:29 PM
Nice 👌
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