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लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2022

पथिक


मैं पथिक नहीं उन राहों का,
तूफानों से जो घबराये।
मैं पथिक उन राहों का,
तूफानों से जो टकराये।
टकराकर फिर बल दुगनाकर,
एक कदम और बढ़ाये।
रूकने का कोई काम नहीं,
बस चलते जाए,चलते जाए। 
नाद विजय का करते -करते,
मेहनत की फिर ललक जगाए। 
अपना हम कर्तव्य निभाकर,
धरती के अरमान जगाए। 
पाये नव युग का आकाश,
और शांति फैलाते जाए। 
भावनाओं के इस सागर में,
प्रेम के बस भाव जगाए। 
मत रूकना तू कभी राह पर,
चाहे फूल शूल बन जाए। 
पाकर अपनी मंजिल को हम,
अपनी एक पहचान बनाए। 
-भूमिका शर्मा

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6 Comments

Wahhhh बहुत ही उम्दा सृजन

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Suryansh

20-Jan-2023 01:17 PM

बहुत ही सुंदर सृजन

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बहुत खूब

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