Nidhi Saxena

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हैवानियत


विषय ; सुलगते अल्फाज
रूप; लेख
शीर्षक; हैवानियत 
 
ना जाने क्या हो रहा होगा ,
जो आपके प्यार में बहकाया जाएगा।
पहले प्यार के डर से ,
फिर उसी का गला कैसे काटा जाएगा।
अगर नहीं रहना था रिश्तों में ,
तो उसे आज़ाद कर दिया जाता है।
लेकिन ऐसा तो ना उसके साथ होता है।
पहले उसके माता-पिता ने उसे साझा किया,
फिर उसके शरीर को भी कई हिस्सों में बांट दिया।
क्या रूह नहीं कांपी उसकी ,
क्या हाथ नहीं कांपा उसका ,
आरी चलाने में ,
क्या दिल नहीं रोया उसका ,
ही अपने प्यार में काटे।
कैसे तड़पी होगा, चिल्लाओगे, गिड़गिड़ाई होगी,
ही अपनी जान की भीख मांगेगा।
लेकिन यह मरी नहीं आई ,
और कर दिया अपने प्यार में कई मोहरे।
कैसे जी रहे हैं अपने माता-पिता पिता की हाय लेके ।
जिस्म के भी हो कई टुकड़े,
जो चील खोवे को खिलाएं।
और उसी से श्रद्धा का श्राद्ध किया जाए।
सोचती हूं हमारी भोली भाली लड़कियां ,
आखिर कब तक ऐसे लोगो के ,
चक्कर में फंसाएंगे।

स्वरचित ; नीर (निधि सक्सैना)





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4 Comments

बहुत खूब

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shweta soni

23-Nov-2022 12:48 PM

👌👌👌

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Rajeev kumar jha

23-Nov-2022 12:29 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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