Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -23-Nov-2022 जिंदगी का सफर

इंदर को अपनी अनपढ़ और घरेलू मां से कभी भी कोई नाराजगी नहीं होती थी। लेकिन वह हमेशा अपने पापा और दादी से नाराज रहता था। दादा जी के निधन के बाद उसे लगता था, कि उसकी समस्या को समझने वाला उसके घर में कोई नहीं है।


 पापा और दादी से नाराज होने का पहला कारण दादी उसे सबके सामने प्यार से रामू बुलाती थी। दूसरा दादी और पापा की इजाजत के बिना वह अपने घर की छत पर भी नहीं जा सकता था।

 हद तो तब हो गई जब इंदर के पापा दसवीं कक्षा में पहुंचने के बाद भी अपनी बाइक पर उसे सुबह स्कूल छोड़ते थे और स्कूल की छुट्टी होने के बाद घर पर। स्कूल में सारे दोस्त उसे भोदू कहकर पुकारते थे।

 उनके स्कूल के साथ एक बहुत बड़ा पब्लिक स्कूल था। पब्लिक स्कूल में रईसों के बच्चे पढ़ते थे। दसवीं कक्षा में पहुंचने के बाद इंदर की एक प्रेम नाम  के लड़के से दोस्ती हो जाती है। इंदर पढ़ाई में होशियार था, लेकिन प्रेम पढ़ाई की जगह प्रेम मोहब्बत की बातों में होशियार था। प्रेम इंदर के घर के आस पास ही रहता था।

जब इंदर के पापा इंदर की बड़ी बहन की यानी अपनी बेटी की शादी में व्यस्त थे। तो इंदर प्रेम के साथ ही स्कूल आता जाता था। प्रेम को जिम्मेदार लड़का समझ कर इंदर के पापा उसे स्कूल छोड़ना और स्कूल से लाना बंद कर देते हैं।

 प्रेम पड़ोस के पब्लिक स्कूल की एकता नाम की लड़की के एकतरफा प्यार में पागल था। एकता प्रेम को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी।
 एक दिन एकता स्कूल की तरफ से पिकनिक पर जा रही थी। प्रेम पिकनिक की बस के ड्राइवर से जुगाड़ करके इंदर की भी स्कूल से छुट्टी करवा कर इंदर को अपने साथ लेकर पिकनिक बस के क्लीनर  बनकर दोनों एकता के साथ पिकनिक जाते हैं। प्रेम को भी उस दिन पता चलता है की वह जिस लड़की के प्यार में दीवाना है। उसका नाम एकता है। और वह 12वीं कक्षा में पड़ती है। उसके पिता अपने क्षेत्र के विधायक हैं। एकता और उसके स्कूल के बच्चों के साथ पिकनिक में इंदर और एकता की नजरें जितनी बार मिलती है, उतनी ही बार इंदर के दिल की धड़कनने तेज होती हैं। अब इंदर भी एकता के प्रेम में दीवाना हो जाता है। 

दोनों दसवीं की परीक्षा की जगह हमेशा एकता की बातें करते थे। इसलिए दोनों दसवीं कक्षा में फेल हो जाते हैं। एकता 12वीं कक्षा पास करके जिस कॉलेज में दाखिला लेती है, दोनों एकता की सहेली से वहां का भी पता ले लेते हैं।

 और  एक दिन दोनों एकता के कॉलेज की छुट्टी होने का इंतजार कर रहे थे। उसी समय एकता अपनी कार का होरन मार्कर अपने पास बुला करअपनी कार में दोनों को बिठा लेती है। और एक रेस्टोरेंट में ले जाती है। फिर दोनों से पूछती है की "आप दोनों में से मुझसे कौन प्यार करता है।" इंदर प्रेम की तरफ इशारा कर देता है। लेकिन एकता को पता था की  इंदर भी मुझ से प्रेम करता है। इनसे पूछने के बाद एकता  पर्स से अपने बॉयफ्रेंड का फोटो दिखाकर प्रेम से कहती है। "सॉरी मैं इस लड़की से प्यार करती हूं।"

 घर आकर इंदर सोचता है की पढ़ाई का एक वर्ष बर्बाद किया और कुछ भी हासिल नहीं हुआ। यह मेरी जिंदगी ने कैसा रंग दिखाया।

अबइंदर  को दादी पापा के लेक्चर पहले से कम बुरे लगने लगते थे। इंदौर कॉलेज के फाइनल ईयर में था। और दादी ने पापा के सामने अपनी अंतिम इच्छा प्रकट कर दी कि मैं अपने पोते इंदर की बहू देखना चाहती हूं। शादी के लिए हां कह कर इंदर के दो सपने टूट जाते हैं। पहला एकता जैसी लड़की से लव मैरिज करना और दूसरा अमिताभ बच्चन जैसे दुनिया का मशहूर इंसान बनना।इंदर की जिंदगी का यह भी एक रंग था। 

पोते की बहू देखना सच में यह दादी की अंतिम इच्छा ही थी। दादी के निधन के बाद इंदर  को यह थोड़ी सी शांति थी कि उसने अपनी दादी की अंतिम इच्छा तो कम से कम पूरी की। 
 शादी के बादउसे पता ही नहीं चला कि कब उसे अपनी पत्नी शालिनी से प्रेम हो गया था। शालिनी  जब मायके जाती तो इंदर उससे नाराज होता कि मुझे साथ लेकर क्यों नहीं जा रही, क्योंकि ससुर को छोड़कर साले साली सास इंदर की बहुत इज्जत करते थे। इंदौर का मुकाबला था तो अपने साढू भाई से (यानी अपनी साली के पति से) जिंदगी के इस रंग मैं  इंदर को और आनंद जब आया जब वह एक गुड़िया सी बेटी और गोल मटोल बेटे का पिता बना।

 लेकिन पापा की एक सैलरी से घर का पूरा खर्चा चलना अब मुश्किल था। इंदर को अब जरूरत थी एक अच्छी सी नौकरी की उसको नौकरी मिलती है शराब के ठेके पर। पत्नी से ज्यादा सास को पसंद नहीं था कि इंदर अपनी पूरी सैलरी माता पिता के हाथ में रखें। लेकिन अपने विवाहित बेटे  की सैलरी खुद सासू मां अपने पास रखती थी।

 उन्हीं दिनों में इंदर की बड़ी बहन दो बेटी के बाद एक बेटे को जन्म देती है।  इंदर के पिता इंदर कुछ करीबी रिश्तेदार बहन की ससुराल वालो बहन जीजा बहन के बच्चों के लिए कपड़े उपहार लेकर जाते हैं। बड़ी बहन की ससुराल में ज्यादा खर्चा करने की वजह से इंदर  की पत्नी और सास इंदर के पक्के दुश्मन बन जाते हैं।

 उस दिन से इंदर  को अपनी पत्नी अपनी प्रेमिका की जगह अपने बच्चों की मां दिखाई देने लगती है। उस दिन इंदर  ने जिंदगी का एक और रंग देखा।

 इंदर  के पिताजी  सरकारी नौकरी से रिटायर हो जाते हैं। रिटायरमेंट के बाद जो पैसा मिलता है। उससे इंदर  के पिताजी पुराना मकान तोड़कर नया मकान बनवाते हैं। और 50 50 गज जमीन खरीद कर इंदर और उसकी बड़ी बहन के नाम कर देते हैं। और इंदर  की मां का मोतियाबिंद का ऑपरेशन प्राइवेट अस्पताल करवाते हैं। इस सब के बाद थोड़ी बहुत पूंजी बुढ़ापे के लिए बैंक में छोड़ देते हैं। इंदर के पिता जी कोई बहुत बड़ी पोस्ट पर नहीं थे। इसलिए उनकी पेंशन भी कम ही बनती हैै। 

इंदर अपनी सैलरी से अपनी बेटी रागिनी का दाखिला प्राइवेट स्कूल में नहीं करवा  पाता। लेकिन इंदर  का साडू भाई अपने दोनों बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूल में करवा देता है। इस बात से नाराज होकर इंदर  की पत्नी शालिनी बच्चों की गर्मियों की छुट्टी में मायके चली जाती हूं।

 इंदर पहली बार जिस शराब के ठेके पर वह काम करता था, वहीं से शराब पीकर शालिनी को लेने अपने ससुराल जाता है। ससुराल में ससुर सास इंदर का बहुत अपमान करते हैं। और शालिनी बच्चों के साथ इंदर  के घर आने से मना कर देती है। इंदर के बेटे मिलन का जन्मदिन भी सालनी अपने मायके में मनाती है। इंदर जबरदस्ती बच्चों और शालिनी को अपने घर  ले जाने की जिद करता है, तो छोटा साला इंदर के ऊपर हाथ छोड़ देता है। 

इंदर  दूसरे दिन ही शालिनी को तलाक का नोटिस भेजता है। शालिनी और उसके मायके वालों को डराने के लिए। लेकिन  छोटी सी बात इतनी बड़ी हो जाती है कि दोनों का तलाक हो जाता है। बेटी इंदर  को मिलती है। और बेटा मिलन शालिनी को।

 तलाक के बाद जीवन में शांति के लिए इंदर रोज शराब पीने लगता है। और दुनिया इंदर  को  बेवड़े के नाम से पुकारनेलगती है। ज्यादा शराब पीने से इंदर  का लीवर खराब हो जाता है। बेटे  की ऐसी दुर्दशा देखकर एक दिन इंदर के पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो जाता है। 

ड्यूटी से लगातार छुट्टी करने की वजह से इंदर की नौकरी भी छूट  जाती है। अब इंदर अपनी मां की पेंशन पर अर्षित हो जाता है। जिंदगी का यह रंग इंदर के लिएबहुत दुखदाई था।

 रागिनी इंदर की नौकरी छुटने के बाद ट्यूशन पढ़ाकर और अपनी दादी की पेंशन के सहारे अपनी पढ़ाई जारी रखती है।  एक दिन शालिनी  अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए इंदर और अपनी बेटी रागिनी  को मां से मिलवाने लेकर अपने घर जाती हैं। दादी पिताजी और अपनी सास के निधन के बाद इंदर अपने को अपराधी मानकर शालिनी से सबके सामने माफी मांगता है। इंदर को रोककर शालिनी कहती है  "आप नहीं मैं भी  परिवार की बर्बादी की  उतनी ही जिम्मेदार हूं।" और दोनों की उनके बच्चे दोबारा शादी करवा देते हैं।

 इंदौर शराब छोड़ कर दूसरी  नौकरी पर लग जाता है। परिवार अच्छे ढंग से चलाने के लिए शालिनी भी नौकरी पर लग जाती है। दोनों मिलकर रागिनी  को टीचर बना कर उसकी अच्छे परिवार में शादी कर देते हैं। मिलन पढ़ाई पूरी करके वकील बन जाता है। इंदर ने  अपनी जिंदगी में अनेक रंग देखें। लेकिन  उसकी जिंदगी का यह रंग बहुत ही खूबसूरत था।

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6 Comments

Punam verma

24-Nov-2022 03:02 PM

Nice

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Abhinav ji

24-Nov-2022 08:53 AM

Very nice👍👍

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Rajesh rajesh

24-Nov-2022 01:55 AM

👍👍👍👍

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