Archana Tiwary

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ख़ुदकुशी

हाँ वो ख़ुदकुशी करने के इरादे से ही घर से निकला था।रात के एक बज रहे थे और वो अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाता जा रहा था।उसे ख़ुदकुशी करने की जल्दी जो थी।जैसे ही गाड़ी पूल के पास पहुँचीवो पूल की मुंडेर के पास भागता हुआ पहुँच गया।नीचे समुद्र के विकराल रूप को देख एक पल के लिए ख़ुदकुशी का विचार जाता रहा पर दूसरे ही पल अपनी मजबूरियों की , परेशानियों से निकलने की अथक प्रयास के सामने अपने आप को विवश होता महसूस करने लगा।पिछले तीन महीने से  नौकरी छूट गयी है।घर के लोन की किश्त भरनी है।सब नाते रिश्तेदारों ने भी किनारा कर लिया है।कहते हैं न सब रिश्ते आजकल बाहरी दिखावा के रह गए है।रिश्ते भी वही निभते है जो बराबरी के हों।बहुत कोशिश के बाद भी कोई नौकरी नही लगी।बचत के पैसों से मैंने इतने दिन घर के खर्चे निकाले पर अब। अब तो आशा की कोई किरण नज़र नही आ रही है।इस वायरस के कारण नयी नौकरी मिलना बहुत मुश्किल है पर घर के खर्चे तो रुकने का नाम ही नही ले रहे।स्कूल वाले बंद स्कूल में भी फीस भरने के लिए बोल रहे है ,महंगाई अपने चरम पर पहुँची है, कहाँ से लाऊं पैसे।ऐसी न जाने कितनी बातें दिमाग में चल रही थी।उसने छलांग लगाने के लिए जैसे रैलिंग से पैर निकाला तभी किसी ने जोर से उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया।वो धड़ाम से सड़क पर गिर गया।पलट कर देखा तो एक अधेड़ आदमी को अपने पीछे पाया।जोर से  चिल्लाते हुए उसने कहाँ मुझे क्यों बचाया मेरी ज़िन्दगी पर मेरा हक़ है मैं इसे ख़त्म करना चाहता हूँ मुझे मर जाने दो।उसने कहाँ तुम्हारी ज़िन्दगी पर सिर्फ तुम्हारा हक़ नही है।ज़रा सोचो इतनी देर तुम घर नही पहुँचे तो तुम्हारे घरवाले कितने परेशान होंगेऔर तुम्हारे ख़ुदकुशी की खबर सुन कर उन पर क्या बीतेगी।अभी तुम्हारे जैसे न जाने कितने लोग हैं जिनकी नौकरी चली गयी है।सब ख़ुदकुशी तो नही कर रहे हैं न।अगर ज़िन्दगी में कोई समस्या आती है तो उसका हल भी है बस हमें थोड़ा धैर्य रखना पड़ता है।तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी पत्नी बच्चों का क्या होगा कभी सोचे हो।तुम्हारे बूढ़े पिता तो जीते जी मर जायेंगे।ख़ुदकुशी तो कायर लोग करते है।अचानक उसे ख्याल आया और उसने पूछा आप इतनी रात में इस पूल पर क्या कर रहे थे।उसने बताया कि सच कहूँ तो आज मेरे मन में भी ख़ुदकुशी का विचार आया था।इस वायरस की वजह से मेरे व्यापार में मुझे बहुत नुकसान हुआ है।मैं पत्नी और बच्चों के ताने सुन सुन कर थक गया हूँ।मैंने सोचा अपनी इहलीला समाप्त करके ही मुझे शांति मिलेगी।जब मैंने तुम्हे छलांग लगाते देखा तो मेरे मन में तुरंत विचार आया की ये गलत है।ज़िन्दगी ईश्वर का दिया एक अनमोल तोहफा है इसे इस तरह ख़ुदकुशी करके ख़त्म करना कायरता है।मरने के बाद मैं कायर नही कहलाना चाहता।ऐसे विचार आते ही मैंने तुम्हें तो बचाया ही साथ में खुद को भी बचा लिया।देखो आकाश की तरफ चांदनी रात में जो चाँद खिला है ये आज से पहले इतना खूबसूरत कभी न लगा था।दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ चाँद की तरफ देखते हुए एक दूसरे का शुक्रिया अदा कर अपने घर की तरफ चल पड़ते हैं।

अर्चना तिवारी
बरोडा,गुजरात


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4 Comments

Archana Tiwary

25-Feb-2021 08:53 PM

धन्यवाद्

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Raju Ladhroiea

21-Feb-2021 09:04 AM

बिल्कुल सही कहा आपने

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علما

19-Feb-2021 07:23 PM

yes /...

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