क्षणिकाएं – २६
क्षणिकाएं – २६
(१)
चाहतों में कौन हिसाब किताब रखता है
दिल जब याद करता है, बेहिसाब धड़कता है।।
(२)
दिलों के सिलसिले भी अजीब होते है
जो दूर रहते हैं बेहद करीब होते हैं।।
(३)
मैं बढ़ता चला हूं वक्त की आंधियों में
न रोके रुकुंगा गम की आजमाइशों में
मुझे बस लगन है मंजिल की ऐसे
जिंदा रहने को सांस लगती हो जैसे।।
(४)
मंजिलों की चिंता करूंगा तो
रास्तों से दोस्ती कौन निभाएगा
रहेगी हमसफर डगर मेरी
यूंही सफरे जिंदगी गुजर जाएगा।।
आभार – नवीन पहल – २५.११.२०२२ 🙏👍🌹❤️
# नॉन स्टॉप २०२२ - भाग २७
Haaya meer
26-Nov-2022 07:18 PM
Superb
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Gunjan Kamal
25-Nov-2022 11:11 AM
👏👌🙏🏻
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