क्षणिकाएं – २८
क्षणिकाएं – २8
(१)
कभी यादों के किस्से कहते हैं
कभी यादों के हिस्से होते है।।
(२)
साए गिरते हुओं को संभाला नहीं करते
वक़्त हो खराब तो अपने भी बच के हैं गुजरते।
न रख उम्मीद किसी भी कांधे से
तेरा ही होंसला काम आएगा इस जमाने में।।
(३)
अरमानों के तपते तवे पर
एक बूंद प्रेम की सुकून नही देती
वो अपना वजूद मिटा तो देती है
पर प्यास को और बढ़ा देती है।।
(४)
यादों की पोटली से खुशबू बिखर रही है
रूखी सूखी रोटियां भी पकवान लग रही है
ये स्वाद है मां के हाथों का यार
जिसकी खुशबू आज भी जुबान याद कर रही है।।
(५)
मुझे खुद अपनी ख्वाहिशों से प्यार है
मेरी सब ख्वाहिशों में तेरा ही तो शुमार है।।
आभार – नवीन पहल – २५.११.२०२२ ❤️💐🌹🙏
# नॉन स्टॉप २०२२ - भाग - २९
Haaya meer
26-Nov-2022 07:18 PM
Superb
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Gunjan Kamal
26-Nov-2022 09:41 AM
बहुत खूब
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