लेखनी कहानी प्रतियोगिता -25-Nov-2022 एक नारी का अस्तित्व
शीर्षक-एक नारी का अस्तित्व
विषय- मुझे शिकायत है तुमसे
यह कहानी नेहा और विनीत की है।
नेहा इंटेलिजेंट और सुशील लड़की थी। वह शादी से पहले एक ऑफिस में काम करती थी।
शादी के बाद भी नेहा जॉब करना चाहती थी। नेहा ने विनीत से कहा मैं जॉब करना चाहती हूं क्या आप करने देंगे। विनीत ने हां कर दिया।
इस तरह खुशी खुशी नेहा , विनीत की शादी हो गई।
नेहा और विनीत की शादी 2015 में हुई थी। उन दोनों के रिश्ते बहुत ही अच्छे थे। नये-नये कपल होने की वजह से विनीत ने स्विजरलैंड हनीमून का ट्रिप भी किया था। नेहा और विनीत की जोड़ी बहुत ही शानदार थे।
इस तरह इन दोनों का रिश्ता आगे बढ़ता रहा।
2 साल की बात
नेहा को एक बेटा हुआ। नेहा का परिवार बहुत ही खुश था। नेहा के बेटे का नाम मानव रखा गया। परिवार वालों ने मानव के जन्म जन्म पर उत्सव रखा। इस तरह खुशी के पल बीत गए।
नेहा जॉब और बच्चों में सिमट कर रह गई थी।
पूरा दिन घर का काम , जॉब, बच्चे बस पूरा दिन इन्हीं में ही लगी रहती थी।
कुछ सालों के बाद
नेहा पूरा दिन बिजी रहने के कारण विनीत को टाइम नहीं दे पाती थी इसी कारण विनीत नेहा से दूर होता चला गया और अपने ऑफिस की सेक्रेटरी शानवी तरफ उसका आकर्षण बढ़ता चला
गया। और यह प्यार दिनों दिन बढ़ता गया।
एक दिन विनीत वकील से मिलने गया उसके बाद शानवी को मंदिर ले गया और उससे शादी कर ली। शादी करके शानवी को घर लेकर आता है । विनीत घर की बेल बजाता है नेहा खुश होकर गेट खोलती है और देखकर सहम जाती है। फिर पूछती है यह कौन है? यह शानवी है मेरी पत्नी।
नेहा-पर पत्नी तो मैं हूं आपकी! यह आपकी पत्नी कैसे हैं।
विनीत-तुम कामों में इतना व्यस्त हो गई थी मुझे कभी टाइम ही नहीं दिया तेरे प्यार को मैं तरसता रह गया तुझे याद भी अपना आखिरी प्यार कब किया था। जब देखो जब ऑफिस जाती और आकर काम में लग जाती बच्चों को संभालती बस यही रह गया था तेरा काम।
नेहा-शिकायत है मुझे तुमसे अपना ही तो था यह सब कैसे भूल गए।
विनीत-उसे तलाक के पेपर देकर कहता है इस पर सिग्नेचर कर और मुझे छोड़कर हमेशा के चली जा।
नेहा-अपने बच्चों को देखकर कहती है तुमने मेरे साथ विश्वासघात किया तुमसे हमेशा इस बात की शिकायत रहेगी मैंने अपना मन तन सब आपको अर्पण किया था थोड़ा सा क्या व्यस्त हो गई तुम मेरे प्यार को भूल गए। और तलाक के पेपर पर सिग्नेचर करके अपने बच्चों को लेकर हमेशा के लिए घर छोड़कर चली जाती है।
शिक्षा-एक नारी का यही अस्तित्व है। वह थोड़ा सा भी अपने पर ध्यान देती है तो अपने ही उसको पराया करने लगते हैं। एक नारी की जिम्मेदारी सभी बने उसके भागीदारी। जब वह आती है तो अकेली आती है लेकिन आने के बाद जिम्मेदारियों का बोझ इतना बढ़ जाता है कि वह पीछे मुड़ कर भी नहीं देख पाती।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Gunjan Kamal
25-Nov-2022 11:18 PM
यथार्थ चित्रण
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