हम

हम

एक दूसरे में गुम हो गए
तुम और मैं, हम हो गए।

मैं थोड़ा ज्यादा, तुम थोड़ी कम
एक दूसरे के दीवाने हुए हम
मुस्कुराते हुए साथ चल रहे हैं
जिंदगी में गम कुछ कम हो रहे हैं।

तुम चमकती और इठलाती
कभी शर्माती और लजाती
कभी दूर जाने को उत्सुक
कभी पास आने को विह्वल।

मेरी बाहों में तुम सिमटती
कभी प्रेम से मुझ पर बिखरती
कभी आक्रोश से कुछ सुलगती
कभी प्रेम सुधा सी बरसती।

मैं, एक बादल सा आवारा
फिरता था गगन गगन सारा
तुमने बन के पर्वत दिया सहारा
लगा के गले अपने, मेरे प्रेम को संवारा।

अपना ये प्रेम परवान चढ़ रहा है
बन के सावन जीवन में बरस रहा है
दिलों के गुंचे, मुस्कुरा के खिल रहे हैं
हम भूल के दुनिया को एक दूजे में खो चुके हैं।।

आभार – नवीन पहल – २७.११.२०२२ 💞💞
# प्रतियोगिता हेतु 

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6 Comments

Khan

28-Nov-2022 09:43 PM

Nice 👍

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Gunjan Kamal

28-Nov-2022 07:14 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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