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ग़ज़ल

आज मुश्किल का हल भी पाया है...
वो  तुझे  चाहने   को  आया    है।

एक  तुम  मुंह    घुमा  के बैठे हो..
एक वो है    मनाने     आया    है।

एक झटके में दिल दिखाऊं तुम्हें...
एक  मुद्दत   से  जो  घबराया  है।

आज गुलशन में महक है बाक़ी
आज भौंरा   अकेले   आया  है।

उसके किस्मत में मैं ही था लेकिन
उसने  खुद ही मुझे  ठुकराया है।

हाल   बेहाल   करके   देखा   हूं...
किसने   मौके   पे  तड़पाया  है।

एक सदमा लगेगा फिर तुमको
अंजुमन में   रकीब     आया  है।

बात हल्की है समझ ले "दीपक"
जहां में  जो  मिले    पराया  है।

दीपक झा रुद्रा

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5 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:53 PM

बहुत खूब

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Pratikhya Priyadarshini

30-Nov-2022 09:25 PM

Bahut khoob 💐🙏

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