तू मेरी जान है मेरा अरमान है
मै भी तेरे अलावा किसी का नहीं
तू है चाहत मेरी मै हूँ धड़कन तेरी
मेरा दिल ये दिवाना किसी का नहीं
बिन तुम्हारे सनम कितना रंजूर हूँ
दिल है टुटा हुआ और मजबूर हूँ
मै जुदाई के सदमात कैसे सहूँ
हाय मै क्या करुँ तुमसे मैं दूर हूँ
मैं अकेला रहूं तो मैं कैसे रहूँ
बिन तेरे साक़िया जाम कैसे पियूं
लौट आओ सनम तुमको मेरी क़सम
मुन्तज़िर हूँ तुम्हारा किसी का नहीं
तू मेरी जान है......... मै भी तेरे अलावा किसी का नहीं
तेरा हंसकर सिमटना मुझे याद है
और पलकें झुकाना मुझे याद है
दूर जाके ज़रा मुड़ के फिर दिलरुबा
तेरा आकर लिपटना मुझे याद है
मुझको तू ही बता सब्र कैसे करुँ
आतिशे ग़म पियूं तो मैं कैसे पियूँ
मेरी हालत को आओ ज़रा देखलो
लुट गया हूँ सहारा किसी का नहीं
........ मुन्तज़िर हूँ तुम्हारा किसी का नहीं
तुझको ढूँढू तो ढूँढू बता दे कहाँ
मेरे चारों तरफ़ है धुआँ ही धुआँ
बेबसी और ग़म से मैं दोचार हूँ
हो गया मेरा दुश्मन ये सारा जहां
कोई रहबर नहीं कोई मंज़िल नहीं
बीच दरिया में हूँ पास साहिल नहीं
डूबती नाव है बीच मजधार में
तेज़ तूफां का धारा किसी का नहीं
अकीब खान... ✍️✍️
Aliya khan
20-Feb-2021 09:58 PM
Nice
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