अपना-अपना एक सितारा





अपना-अपना एक सितारा

 गीत -✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

इतने तारे आसमान में, उनका क्यों संज्ञान करें 
अपना-अपना एक सितारा, उसका ही सब ध्यान करें।

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दुनिया के सब काम आजकल, मतलब से ही चलते हैं
भोले -भालों की छाती पर, दुष्ट मूँग अब दलते हैं
अपना उल्लू सीधा करने को सब खूब मचलते हैं
आस्तीन के साँप यहाँ पर, चुपके-चुपके पलते हैं

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अब अपनी औकात भूलकर, लोग यहाँ अभिमान करें 
अपना-अपना एक सितारा, उसका ही सब ध्यान करें।

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एक-एक कर सबको मिटना, इस पर कोई गौर नहीं 
हाथ- पैर कितना भी फेंके, पर कोई सिरमौर नहीं
एक-दूसरे का हित सोचें, ऐसा है अब दौर नहीं
फैली आग आज नफरत की, बचने का है ठौर नहीं

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समाधान भी कुटिल हो गया, धूर्त यहाँ व्यवधान करें
अपना-अपना एक सितारा, उसका ही सब ध्यान करें।

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पता नहीं कब क्या हो जाए, देखी किसने यहाँ घड़ी
अफरा-तफरी मची हुई है, हाय समस्या हुई खड़ी
सूझ-बूझ से काम न लें जो, लगता उनकी बुद्धि सड़ी
लाचारों को सता रहे हैं, भूल करें वे बहुत बड़ी

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जाने क्यों बलवान यहाँ पर, निर्बल का अपमान करें
अपना-अपना एक सितारा, उसका ही सब ध्यान करें।

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जिसका यहाँ सितारा डूबा, फूट-फूटकर वह रोए
उसके लिए भला कोई क्यों, नींद यहाँ अपनी खोए
नातेदार भूलकर उसको, आज चैन से हैं सोए
पथ में उसके काँटे बोए, दिखें दूध के वे धोए

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जिससे लाभ न कोई उनका, उसका क्यों सम्मान करें
अपना-अपना एक सितारा, उसका ही सब ध्यान करें।


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अपने साथ यहाँ क्या लाए, साथ किसी के क्या जाए
धन -दौलत जो हड़प रहे हैं, वे हैं इतने इठलाए
तिकड़म में वे सबसे आगे, चालाकी उनको भाए
यम के हाथों मार पड़े जब, काम न तब कुछ भी आए

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जो सीधे- सच्चे हैं उनका, आओ हम गुणगान करें 
अपना-अपना एक सितारा, उसका ही सब ध्यान करें।
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 रचनाकार -✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट 
'कुमुद- निवास'
 बरेली (उत्तर प्रदेश)
 मोबाइल- 98379 44187

(प्रकाशित एवं प्रसारित रचना- सर्वाधिकार सुरक्षित)



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7 Comments

Gunjan Kamal

06-Dec-2022 01:19 PM

शानदार

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Mahendra Bhatt

02-Dec-2022 08:26 AM

Nice 👍🏼

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बहुत खूब

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