Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Dec-2022 मां की ममता की पुकार

शीर्षक- मां की ममता की पुकार

विषय-ममता

जब बनी में पहली बार मां,
एहसास मुझ में जागा,
ममता की उठी धारा।

जब तू था मेरे कोख में,
हाथ में फेरा करती थी,
अपनी ममता तुझ पर लुटाती थी।

जब तुझे हुए सात माह,
तूने मारी मुझे लात,
तब हुआ ममता का एहसास।

 तेरे आने का किया इंतजार,
जब हुए पूरे नौ माह,
इंतजार की घड़ियां हुई समाप्त।

हुआ मुझे तेरे आने का आभास,
तू आया मेरे कोख से बाहर,
खुशियों की हुई बौछार।

दादा-दादी लगे झूमने,
पापा चाचा लगे नाचने,
बजे घर पर ढोल ताशे।

जब तू मेरी गोद में आया,
पहले स्पर्श में जागी  ममता,
आंखों में छलकी खुशियों की धारा।

मेरे आंचल में तुझको छुपाया,
नजर ना लगे काला टीका लगाया,
उंगली पकड़ कर तुझे चलना सिखाया।

जब हो गया बड़ा,
मनमानी तू करने लगा,
बनना था तुझे बड़ा।

उच्च शिक्षा के लिए भेजा विदेश,
जिंदगी बन गई तेरी वही भेश,
फिर लौट कर ना आया स्वदेश।

भेजे तुझे लाख संदेश,
फिर भी ना आया कोई आलेख,
ममता बन कर रह गई संदेश।

घोट दिया मेरी ममता का गला,
ना बना मेरे बुढ़ापे का सहारा,
अंत समय भी तू ना आया।

अश्रु की बही धारा,
कोई ना पूछने वाला,
ना था कोई कांधा देने वाला।

ममता क्या मां में हो जागृत,
 पूछते हैं तुमसे यह सवाल,
बच्चों में भी हो ममता जागृत।

फैलाओ जग में संचार,
सभी में हो ममता का आभास,
जिससे बने खुशियों का संसार।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा


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5 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:08 PM

बहुत खूब

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Punam verma

03-Dec-2022 08:04 AM

Very nice

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Mahendra Bhatt

03-Dec-2022 08:02 AM

शानदार

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